बिलारी के लगभग 50% लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि से ही जुड़ा है. यहां सूती कपड़ा, दरी, चादर बुनाई जैसे छोटे और लघु उद्योग धन्धे हैं. बिलारी के समीपवर्ती क्षेत्रों में ईंट व गुड़ उद्योग प्रचुर मात्रा में है.
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मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में तहसील है बिलारी, जो जिला मुख्यालस से 25 किलोमीटर दक्षिण में, चंदौसी नगर से 19 किलोमीटर उत्तर में, संभल जनपद मुख्यालय से 26 किलोमीटर पूर्व में, रामपुर जनपद की तहसील शाहबाद मुुख्यालय से 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. बिलारी नगर पूर्व में 2.5 किलोमीटर, पश्चिम में 2 किलोमीटर, उत्तर में 2 किलोमीटर तथा दक्षिण में 1.5 किलोमीटर तक फैला हुआ है. बिलारी विधानसभा 25 वार्डों में बांटा गया है. भारत की 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक बिलारी तहसील में 342 गांव हैं. बिलारी विधानसभा क्षेत्र मुरादाबाद में पड़ता है, लेकिन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र संभल है.
बिलारी के लगभग 50% लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि से ही जुड़ा है. यहां सूती कपड़ा, दरी, चादर बुनाई जैसे छोटे और लघु उद्योग धन्धे हैं. बिलारी के समीपवर्ती क्षेत्रों में ईंट व गुड़ उद्योग प्रचुर मात्रा में है. यहां पीपरमैंट के तेल का कारोबार भी है. क्षेत्र की प्रमुख उपज गन्ने की है. पहले इस क्षेत्र के अधिकांश भाग पर कपास पैदा की जाती थी. इसकी सारी खपत यहां से मात्र 19 किलोमीटर दूर स्थित नगर चन्दौसी की रूई मिल में होती थी. लेकिन चीनी मिल लगने के बाद यहां कपास की खेती बंद हो गई और गन्ने की खेती होने लगी.
बिलारी नगर पालिका परिषद है. यहां सड़क, साफ सफाई, पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति होती है. यहां सिनेमा टॉकीज, इंटर और डिग्री कॉलेज हैं. अच्छे प्राइवेट स्कूल भी हैं. चिकित्सा सुविधा इतनी अच्छी नहीं है, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां के लोगों को उच्च शिक्षा और बेहतर चिकित्सा के लिए मुरादाबाद या संभल जाना पड़ता है. मेरठ इस क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है.
बिलारी सीट पर धार्मिक और जातिगत समीकरण
बिलारी में हिंदू, मुस्लमान एवं पंजाबी आधिक हैं. नगर में 44.47% हिंदू आबादी है, जिनमें मुख्य रूप से बनिया, जाट, यादव, ठाकुर व सुनार जाति के लोग हैं. इस्लाम धर्म के अंतर्गत अंसारी, मनिहार आदि हैं. मुस्लिमों की आबादी 54.25% के करीब है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिलारी विधानसभा क्षेत्र में कुल रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या 2,92,315 है. इनमें पुरुषों की संख्या 1,63,782 है, जबकि महिला वोटर्स की संख्या 1,28,533 है. बिलारी जनरल सीट है.
बिलारी का राजनीतिक इतिहास, 2017 के नतीजे
बिलारी विधानसभा सीट पर 1951 से चुनाव हो रहे हैं. यहां पहले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार मेही लाल ने जीत दर्ज की. फिर 1951 में ही हुए दूसरे चुनाव में कांग्रेस के हर सहाय विधायक बने, 1957 में माही लाल कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए. फिर 1957 में ही जगदीश नारायण कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1962 के चुनाव में हेत राम प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. बिलारी विधानसभा का प्रतिनिधित्व पिछले 2 बार से इरफान एडवोकेट का परिवार ही कर रहा है. साल 2012 में सपा के मोहम्मद इरफान विधायक बने. सड़क हादसे में निधन के बाद 2016 में हुए उप चुनाव में बेटे मोहम्मद फहीम ने सपा के लिए जीत दर्ज की. साल 2017 में भी सपा के मोहम्मद फहीम ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा.
वर्तमान बिलारी विधायक मोहम्मद फहीन के बारे में
मोहम्मद फहीम विधायक के तौर पर अपने क्षेत्र में अनेक कार्य कराने का दावा करते हैं. वहीं, अधूरे रह गए कार्यों के लिए लिए विपक्ष का विधायक होने के कारण सरकार की ओर से ध्यान नहीं दिए जाने का ठीकरा सरकार पर लगाते हैं. हालांकि पांच सालों में कोई बड़ी उपलब्धि उनके खाते में नहीं जुड़ पाई. विधायक का कहना है कि उन्होंने कोरोना संक्रमण से पहले और संक्रमण के दौरान लोगों के इलाज पर लाखों रुपए खर्च किए. अपने क्षेत्र में यात्री शेड, रैन बसेरे बनवाए. आंबेडकर पार्क का जीर्णोद्धार कराया, उनके द्वारा रखे गए प्रस्ताव पर बने बिजली घर से क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों में बिजली की समस्या का समाधान हुआ.
अनेक स्थानों पर फ्रीजर और हाईमास्ट लाइटें लगवाई हैं. इसके साथ उनके द्वारा वादा किए जाने के बाद मंदिर पौड़ाखेड़ा, शंभूनाथ, रायसत्ती का जीर्णोद्धार कराने और क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का ठीकरा सरकार पर फोड़ते हैं. विधायक मोहम्मद फहीम इरफान का कहना है कि गांवों में श्मशान घाट बनाए जाने, सोलर पैनल लगाए जाने, कई गांवों को सड़कों से जोड़ने, पुराने बंच केबल बदलवाने के लिए विधानसभा तक में आवाज उठा चुके हैं, पर कार्य नहीं हुए. क्षेत्र की सड़कें भी अभी तक नहीं बनवाई गई हैं. क्षेत्र की जनता का कहना है कि विधायक ने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए हैं. देहात की सड़कें खस्ताहाल हैं.
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