Uttarakhand News: महर्षि अगस्त्य की तरह मरीज कर रहे तपस्या, नाक से खून आया तो टार्च लाइट में हठ योग को मजबूर
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Uttarakhand News: महर्षि अगस्त्य की तरह मरीज कर रहे तपस्या, नाक से खून आया तो टार्च लाइट में हठ योग को मजबूर

क्या हो जब ऋषियों मुनियों की तरह मरीजों को तपस्या करनी पड़ जाए. उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में ऐसा ही मामला सामने आया है. दरअसल, अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के न्याय पंचायत पौड़ीखाल के ढामणी गांव के लोगों को इलाज के लिए टार्च की लाइट में कई किलोमीटर की दूरी तय कर हठ योग करने को मजबूर हैं.

Uttarakhand News: महर्षि अगस्त्य की तरह मरीज कर रहे तपस्या, नाक से खून आया तो टार्च लाइट में हठ योग को मजबूर

रूद्रप्रयाग: क्या हो जब ऋषियों मुनियों की तरह मरीजों को तपस्या करनी पड़ जाए. उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में ऐसा ही मामला सामने आया है. दरअसल, अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के न्याय पंचायत पौड़ीखाल के ढामणी गांव के लोगों को इलाज के लिए टार्च की लाइट में कई किलोमीटर की दूरी तय कर हठ योग करने को मजबूर हैं. आइए बताते हैं पूरा मामला.

दरअसल, आज हम आपको एक ऐसी घटना से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपका दिल भी पसीज जाएगा. रूद्रप्रयाग जनपद के पौड़ीखाल के ढामणी गांव में एक हार्ट पेसेंट के नाक से अचानक बहुत खून आने लगा. इसके बाद ग्रामीणों को रात में ही 3 किलोमीटर अस्पताल में पहले ले जाने का प्रयास किया, लेकिन वहां स्टाफ नदारत थे. तब लोगों ने मन बनाया कि 7 किलोमीटर दूर किसी तरह पैदल अस्पताल ले जाया जाए. फिलहाल, बीमार व्यक्ति श्रीनगर बेस अस्पताल में भर्ती हैं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि कुछ सुविधा तो मिली हैं, लेकिन गांव तक सड़क नहीं है.

जन सुविधाओं के अभाव में बगल का गांव हुआ खाली 
खास बात ये है कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन लोगों के लिए गांव तक सड़क की सुविधा एक सपना है. स्थानीय लगातार जनप्रतिनिधियों कोशते हैं. दरअसल, इस समय कुछ लोग गांव में पूजा के लिए आए हैं. वहीं, जब तबीयत बिगड़ी तो अगर गांव के लड़के न होते, बीमार व्यक्ति की मौत भी हो सकती थी. इसीलिए जन सुविधाओं के अभाव में कोई भी व्यक्ति गांव में नहीं रहता, जो भी हैं वो गरीब और असहाय हैं. शायद यही वजह है कि बगल का गांव भी खाली हो गया.

आदि मानव युग में जीने को मजबूर
वहीं, गांव के लोग आज भी सड़क की आस में इसी कोप भवन में जीने को तैयार है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है. सवाल ये है कि गांव तो खाली हो रहा, वो करें तो क्या करें. गांव के लोगों का कहना है कि आज भी आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी वह आदि मानव युग में जीने को मजबूर हैं. क्या स्थानीय जनप्रतिनिधि, सरकार या जिला प्रशासन कोई सुध लेगा. कौन सुनेगा, किसको सुनाएं अपनी पीड़ा. रात में टार्च की लाइट में 7 किलोमीटर दूर बीमार व्यक्ति को ले जाने को ग्रामीण विवश हैं. फिलहाल, देखना ये है कि महर्षि अगस्त्य के नाम से जाने जाने वाले अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के न्याय पंचायत पौड़ीखाल के ढामणी गांव के लोगों 

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