Varanasi: ज्ञानवापी परिसर को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बता रहा मुस्लिम पक्ष, इन अदालती आदेशों का दिया हवाला
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Varanasi: ज्ञानवापी परिसर को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बता रहा मुस्लिम पक्ष, इन अदालती आदेशों का दिया हवाला

Gyanvapi Masjid Dispute Varanasi: ज्ञानवापी परिसर को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलीलें पेश करते हुए शमीम ने 1936 और 1944 के उन अदालती आदेशों का भी हवाला दिया, जिनमें कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर वक्फ बोर्ड की संपत्ति है.

Varanasi: ज्ञानवापी परिसर को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बता रहा मुस्लिम पक्ष, इन अदालती आदेशों का दिया हवाला

Gyanvapi Masjid Dispute: वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी परिसर को लेकर रोजाना नया विवाद छिड़ता जा रहा है. मामले को लेकर लगातार हो रही बयानबाजी के बीच अब इस मामले में चल रही अदालती सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दस्तावेजी सबूतों के आधार पर ज्ञानवापी परिसर को वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने का दावा किया है. मुस्लिम पक्ष ने 1936 और 1944 के अदालती आदेशों का हवाला दिया है. 

वक्फ एक्ट और 1944 में दान में दी गई जमीन का दिया हवाला
जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सोमवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक नैसान ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर वक्फ बोर्ड की सौ नंबर पर पंजीकृत संपत्ति के रूप में दर्ज होने के सबूत पहले ही अदालत के समक्ष पेश किए जा चुके हैं. हिंदू पक्षकारों द्वारा अदालत में अपना पक्ष पेश किए जाने के बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलीलें पेश करते हुए शमीम ने 1936 और 1944 के उन अदालती आदेशों का भी हवाला दिया, जिनमें कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर वक्फ बोर्ड की संपत्ति है.

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मंगलवार को अपनी दलीलें पेश करेंगे हिंदू पक्ष
सोमवार को जिला अदालत में हुई मुस्लिम पक्ष की बहस मंगलवार को भी जारी रहेगी. इसके बाद मुस्लिम पक्ष के जवाब में हिंदू पक्ष के वकील अपनी दलीलें पेश करेंगे. मुकदमे के एक अन्य मुस्लिम पक्षकार एवं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील शमीन अहमद ने दलील दी कि उक्त संपत्ति 'ऑकाफ' यानी दान की है.

अत: इस मामले की सुनवाई दीवानी अदालत में नहीं हो सकती है. अहमद ने कहा कि इस मामले की सुनवाई वक्त बोर्ड अदालत में ही हो सकती है. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी और मदन मोहन यादव सहित अन्य वकील भी अदालत में मौजूद थे.

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