Ballia News: बलिया में ददरी मेला करीब 7 हजार साल से लगता आ रहा, भृगु संहिता में मिलता उल्लेख
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2508646

Ballia News: बलिया में ददरी मेला करीब 7 हजार साल से लगता आ रहा, भृगु संहिता में मिलता उल्लेख

Ballia Fair: बलिया में हर साल कार्तिक महीने में ददरी मेला आयोजित किया जाता है. जिसका इतिहास 7,000 साल पुराना है. मुग़ल काल में यह मेला पूरे देश में प्रसिद्ध था, लेकिन अब यह छोटे क्षेत्र तक सीमित हो गया है. आइए जानते हैं इसके महत्ता के बारे में 

 

Ballia News

Ballia News: यूपी के बलिया जिले में स्थित ददरी मेला करीब 7 हजार साल पुराना है, हर साल कार्तिक महीने में आयोजित होता है. यह मेला महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर शुरू हुआ था और शरद पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर लगभग एक महीने तक चलता है. इस मेले की शुरुआत याज्ञयिक रूप में हुई थी, लेकिन समय के साथ यह व्यावसायिक रूप ले चुका है.

मुगल काल का प्रसिद्ध व्यापारिक मेला
मुगल काल में यह मेला देशभर में प्रसिद्ध था, जब विभिन्न राज्यों से व्यापार के लिए लोग यहां आते थे. ढाका से मलमल, ईरान से घोड़े, और पंजाब, हरियाणा, उड़ीसा और नेपाल से गधे इस मेले में लाए जाते थे. उस समय यह मेला एक विशाल व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया था. हालांकि, आज यह मेला छोटे क्षेत्र में सिमट कर रह गया है.

महर्षि भृगु और संगम का ऐतिहासिक महत्व
इस मेले का ऐतिहासिक महत्व गंगा और सरयू नदियों के संगम से जुड़ा हुआ है. महर्षि भृगु ने यह संगम कराने के बाद ही इस क्षेत्र में धार्मिक और याज्ञयिक गतिविधियों का आयोजन शुरू किया था. साथ ही, महर्षि भृगु ने यहां "भृगु संहिता" का विमोचन किया था.

कार्तिक महीने में गंगा स्नान की परंपरा
वर्तमान में, यह मेला अब भी कार्तिक महीने में गंगा स्नान के लिए प्रसिद्ध है. शरद पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर झंडा गाड़ा जाता है और लोग यहां कार्तिक स्नान के लिए पहुंचते हैं. यह परंपरा 7 हजार साल पुरानी है और आज भी संत, ऋषि-मुनि यहां कल्पवास करने आते हैं.

इसे भी पढ़े: Varanasi News: काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने दीवार ढहाने पर बवाल, किसानों-वकीलों और पुलिस के बीच हाईवोल्टेज ड्रामा

इसे भी पढ़े: Sharda Sinha Death: अधूरी रह गई शारदा सिन्हा की आखिरी ख्वाहिश, बेरहम वक्त ने छठ पूजा पर छीन ली जिंदगी

Trending news