Coldest Place on Earth: कड़ाके की ठंड की दस्तक होते ही पूरा उत्तर भारत सिहर जाता है. तेज ठंडी हवाएं कंपकपा देती हैं. ये मौसम दो से तीन महीने हमें झेलना पड़ता है, लेकिन सोचिए उन जगहों पर क्या होता होगा, जहां हमेशा ही ऐसा मौसम रहता है. आज 'नॉलेज स्टोरी' में हम आपको ऐसी ही जगह से इंट्रोड्यूस करा रहे हैं, जो हमारे प्लानेट का सबसे कूलेस्ट प्लेस हैं. क्या आप जानते हैं इस जगह के बारें में? चलिए हम बताते हैं आपको दुनिया की सबसे ठंडी जगह के बारे में, जहां कुछ दी देर में इंसान जम जाए...
ये जगह है- वोस्टोक स्टेशन, जो अंटार्कटिका महाद्वीप में स्थित है. यह एक रूसी रिसर्च स्टेशन है, जो स्टेशन समुद्र तल से लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां का तापमान इतना कम होता है कि इंसान कुछ ही पलों में जम सकता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 21 जुलाई 1983 को वोस्टोक स्टेशन तापमान -89.2 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड दर्ज किया गया था. यह धरती पर अब तक दर्ज किया गया सबसे कम तापमान है. यहां का औसत तापमान भी -55 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है.
वोस्टोक स्टेशन समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ऊंचाई के साथ तापमान घटता है. यहां सूर्य की किरणें सीधी नहीं पड़तीं. इसके अलावा, बर्फ की मोटी चादर सूर्य की गर्मी को परावर्तित कर देती है, जिससे यहां और ज्यादा ठंड रहती है. वोस्टोक स्टेशन की खोज 1957 में सोवियत संघ के वैज्ञानिकों ने की थी. यहां का औसत तापमान -55 डिग्री सेल्सियस रहता है.
इस कड़ाके की ठंड में वैज्ञानिकों के लिए रहना आसान नहीं है. इस स्टेशन पर वैज्ञानिकों के लिए रहना बहुत मुश्किल होता है. यहां के कठोर मौसम से बचने के लिए उन्हें खास तरह के थर्मल कपड़े पहनने पड़ते हैं. ठंड से इंसानों और उपकरणों को बचाने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है. इसके बावजूद यहां लंबे समय तक रहना बेहद चुनौतीपूर्ण है.
वोस्टोक स्टेशन पर न तो कोई पेड़-पौधे होते हैं और न ही जानवर. इस जगह पर जीवन के लिए आवश्यक बुनियादी चीजें जैसे ऑक्सीजन, टेम्प्रेचर और फूड चेन मौजूद नहीं हैं. यहां तक कि अंटार्कटिका के अन्य हिस्सों में पाए जाने वाले पेंगुइन भी इस इलाके में नहीं आते.
हालांकि, यह स्थान बेहद कठोर है. फिर भी वैज्ञानिक यहां पृथ्वी के इतिहास और जलवायु परिवर्तन पर शोध करने के लिए काम करते हैं. वोस्टोक स्टेशन के नीचे एक झील स्थित है, जिसे वोस्टोक झील कहा जाता है. माना जाता है कि यह झील 15 मिलियन सालों से जमी हुई है. इसमें मौजूद पानी धरती के शुरुआती समय का प्रतिनिधित्व करता है.
वोस्टोक स्टेशन केवल ठंड का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह इंसानी धैर्य और वैज्ञानिक जिज्ञासा का भी उदाहरण है. यहां पर किए जा रहे शोध कार्य न केवल धरती के इतिहास को समझने में मदद करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी इंसान कैसे आगे बढ़ सकता है.
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