अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के चुनिंदा शेर

Ritika
Oct 24, 2024

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी, जैसी अब है तेरी महफिल कभी ऐसी तो न थी....

इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें, इतनी जगह कहां है दिल-ए-दाग-दार में....

कितना है बद-नसीब ज़फ़र दफ़्न के लिए, दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में...

भरी है दिल में जो हसरत कहूं तो किस से कहूं, मुसीबत कहूं तो किस से कहूं....

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें, हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया...

कोई क्यों किसी का लुभाए दिल, कोई क्या किसी से लगाए दिल, वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल वो दुकान अपनी बढ़ा गए....

अब की जो राह-ए-मोहब्बत में उठाई तकलीफ़, सख़्त होती हमें मंज़िल कभी ऐसी तो न थी ...

दौलत-ए-दुनिया नहीं जानें की हरगिज़ तेरे साथ, बाद तेरे सब यहीं ऐ बे-खबर बट जाएगी...

VIEW ALL

Read Next Story