मगर जो खो गई वो चीज क्या थी... दिल टूटे आशिक पढ़ें जावेद अख्तर के कमाल के शेर

कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी

जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता

तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है

डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए

तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो

ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता

हम तो बचपन में भी अकेले थे सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे

मुझे मायूस भी करती नहीं है यही आदत तिरी अच्छी नहीं है