तेरा चुप रहना मिरे जेहन में क्या बैठ गया... तहजीब हाफी के कमाल के शेर पढ़ें

किसे खबर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है, कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया, इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूं कि मात हो गई है

ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे, अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे

सो रहेंगे कि जागते रहेंगे, हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे

आईने आंख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था, एक याद बसर करती थी मुझे मै सांस नहीं ले पाता था

मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूं, पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे

तू इधर देख मुझ से बातें कर, यार चश्मे तो फूटते रहेंगे

Disclaimer

यहां दिए गए शेर तहजीब हाफी ने लिखे हैं. Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिए हैं.