Indira Ekadashi Vrat Importance: पितृ पक्ष चल रहे हैं और इस बीच इंदिरा एकादशी भी आ गई है. यह बहुत सौभाग्य की बात है. इस दिन व्रत रखना अति शुभ हो जाता है. इंदिरा एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है. यह एकादशी सबसे पूजनीय एकादशी में से एक है क्योंकि यह पितृ पक्ष के दौरान आती है. पितृ पक्ष यानी जब पूर्वज 16 दिनों के लिए पितृ लोक से धरती पर आते हैं. एकादशी का व्रत सबसे पवित्र व्रत माना जाता है और जो लोग पूरे मन से एकादशी का व्रत रखते हैं वे पापों से मुक्ति पाते हैं.
एकादशी रखना बहुत अच्छा माना जाता है और इसके कई लाभ शास्त्रों में बताए गए हैं, लेकिन इस बार की इंदिरा एकादशी क्यों खास है. इसपर बात करते हैं?
दरअसल, एकादशी पर व्रत रखने वालों को बता दें कि वे अपने इस व्रत से पितरों को मोक्ष दिला सकते हैं. एकादशी महीने में दो बार आती है और इस बार इंदिरा एकादशी आश्विन माह में मनाई जा रही है और इस एकादशी की सबसे खास बात यह है कि यह पितृ पक्ष के दौरान पड़ रही है. तो ये इसलिए ही खास है, क्योंकि पितृ पक्ष में सच्चे मन से व्रत रखने पर पितरों को भगवान विष्णु का आर्शिवाद मिलेगा.
Indira Ekadashi 2024: पितृ पक्ष में एकादशी का महत्व
इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व रखती है. ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत सबसे पवित्र व्रत माना जाता है और लोग पूरे मन से एकादशी का व्रत करने पर अपने पिछले पापों से मुक्ति पाते हैं. यह व्रत भक्तों को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है और लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु उन्हें अपने निवास वैकुंठ धाम में स्थान देते हैं. यह भी माना जाता है कि जो लोग इस पवित्र दिन पर व्रत रखते हैं और अपने पूर्वजों को समर्पित व्रत रखते हैं, भगवान विष्णु उनके सभी पापों को काटते हुए आशीर्वाद देते हैं और उन्हें मोक्ष भी प्रदान करते हैं. यह पूर्वजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.
Indira Ekadashi 2024: तारीख और समय
-एकादशी तिथि प्रारंभ - सितंबर 27, 2024 को दोपहर 01:20 बजे
-एकादशी तिथि समाप्त - सितंबर 28, 2024 को दोपहर 02:49 बजे
-पारण समय - 29 सितंबर, 2024 - 29 सितंबर, 2024 - सुबह 05:37 बजे से 08:01 बजे तक
-द्वादशी समाप्ति समय - 29 सितंबर, 2024 - शाम 04:47 बजे तक
Indira Ekadashi 2024: एकादशी पर क्या करें?
-सुबह जल्दी उठें, पवित्र जल से स्नान करें.
-भगवान विष्णु को फूल, माला, चंदन का तिलक, तुलसी पत्र चढ़ाएं और देसी घी का दीया जलाएं.
-भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी पत्र, फल और मखाना खीर (या कोई अन्य घर का बनी मिठाई) का भोग लगाएं.
-'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें, अजा एकादशी कथा का पाठ करें. पूरे दिन विष्णु महामंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
-द्वादशी तिथि को दूध से बनी चीजें और फलों के साथ या चावल और नमकीन खाद्य पदार्थों के साथ पारंपरिक रूप से एकादशी व्रत खोलें.
-आरती करें और प्रत्येक परिवार के सदस्य को पंचामृत दें.
एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
1. श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा..!!
2. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय..!!
3. हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे..!!
4. राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने..!!
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