नई दिल्ली: Matamah shraadh: नवरात्रि स्थापना के साथ ही मातामह श्राद्ध भी आता है. कई घर ऐसे हैं जहां नवरात्रि की स्थापना भी होती है और मातामह श्राद्ध श्राद्ध भी किया जाता है. इस बार मातामह श्राद्ध 15 अक्टूबर को है, यह पितृ पक्ष खत्म होने के बाद आता है. सबसे पहले ये जान लेते हैं कि मातामह श्राद्ध होता क्या है और इसे क्यों किया जाता है.
क्या होता है मातामह श्राद्ध
यह श्राद्ध एक बेटी अपने पिता के लिए करती है. जबकि एक नाती अपने नाना के लिए करता है. ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है मातामह श्राद्ध वही महिला कर सकती है जिसका पति और बेटा, दोनों जिंदा हो. यदि किसी एक का भी निधन हो चुका है, तो यह श्राद्ध नहीं किया जा सकता.
नाती भी कर सकते हैं पिंडदान
माना जाता है कि यदि दिवंगत व्यक्ति के घर में कोई लड़का नहीं है, तो यह पिंडदान लड़की की संतान यानी नाती द्वारा भी करवाया जा सकता है.
मातृ ऋण से मिलती है मुक्ति
मातामह श्राद्ध के दिन मां या नानी का श्राद्ध करने से आप मातृ ऋण से मुक्त हो जाते हैं. जो लोग यह श्राद्ध नहीं करते, उन्हें मातृ दोष का सामना करना पड़ सकता है. पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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