हैदराबाद: तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा नहीं लिया और कहा कि वह राज्य में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल कांग्रेस के साथ मंच साझा नहीं कर सकती. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सूत्रों ने कहा कि पार्टी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों से समान दूरी बनाए हुए है.
टीआरएस रहा दूर
सूत्रों ने कहा कि पार्टी चाहती है कि बैठक को अंतिम रूप देने से पहले पहले विचार-विमर्श किया जाए, खासकर तब, जब कांग्रेस इसमें भाग ले रही हो. उन्होंने कहा कि टीआरएस इस मामले को विपक्षी राष्ट्रीय दलों के समक्ष उठाने से पूर्व संभावित निष्कर्ष के लिए पहले क्षेत्रीय दलों से विचार-विमर्श की पक्षधर है. सूत्रों ने कहा कि हालांकि, टीआरएस राष्ट्रपति चुनाव में मतदान को लेकर बाद में फैसला लेगी. राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली में विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक की.
बैठक में 17 नेता हुए शामिल
इस बैठक में कम से कम 17 दलों के नेता शामिल हुए. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों के नेता शामिल हुए, जबकि आप, तेलंगाना राष्ट्र समिति और ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने इसमें भाग नहीं लिया.
कांग्रेस ने की साझा उम्मीदवार की पैरवी
बता दें कि कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार होने की पैरवी करते हुए कहा कि इस पर सहमति बनाने में वह रचनात्मक भूमिका निभाएगी. कांग्रेस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक कहा कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो संविधान, देश की संस्थाओं और समाज के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने की रक्षा करने की प्रतिबद्धता रखता हो.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिया ये बयान
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अस्वस्थ होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सोनिया जी ने मुझसे कहा कि मैं साझा उम्मीदवार की संभावना को लेकर उन विभिन्न दलों के नेताओं से बात करूं जो आरएसएस-भाजपा की विभाजनकारी और विध्वंसक नीतियों के खिलाफ हैं.’’
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