नई दिल्ली: Hyderabad Lok Sabha Seat: राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. यह कहावत हैदराबाद में सच होती दिख रही है. हैदराबाद देश की हॉट सीटों में से एक है. यहां से AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी सांसद हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर ओवैसी को अंदरूनी समर्थन दे दिया है. पार्टी यहां से फिरोज खान को चुनावी मैदान में उतारने वाली थी, लेकिन अचानक से फैलसा पलटा और कांग्रेस ने यह सीट खाली ही छोड़ दी.
जिनको बताया RSS का एजेंट, उन्होंने ही की तारीफ
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को AIMIM चीफ ने RSS का एजेंट बताया था. लेकिन अब बदली हुई परिस्थिति में दोनों ओर से ही एक-दूसरे के लिए मीठी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है. हाल ही में CM रेड्डी ने कहा कि यहां (हैदराबाद) से आप लोगों की मदद से ओवैसी और उनके विधायक जीतते आ रहे हैं. मैं भी उन्हें नहीं हरा पाया. चुनाव समाप्त होने के बाद हमने सोचा कि AIMIM को साथ लेकर हैदराबाद को विकसित करेंगे.
ओवैसी ने भी दिया सहयोग का आश्वासन
दूसरी ओर, ओवैसी ने भी कांग्रेस को सहयोग का पूरा आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि तेलंगाना में गंगा-जमुनी तहजीब और मजबूत होगी. हमारी पार्टी की ओर से आपको (कांग्रेस) पूरी मदद मिलेगी. नफरत पैदा करने वालों से हिफाजत करनी है.
क्यों कांग्रेस ने किया ओवैसी का समर्थन?
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद लोकसभा सीट पर अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे. वे पहले भी यहां 4 बार सांसद रह चुके हैं. लेकिन भाजपा ने यहां से फायरब्रांड नेता माधवी लता को टिकट दे दिया. हैदराबाद सीट पर करीब 19 लाख वोटर हैं. इनमें से 11 लाख मुस्लिम मतदाता हैं. जबकि 8 लाख वोटर गैर-मुस्लिम हैं. यदि कांग्रेस यहां से फिरोज खान को चुनावी मैदान में उतारती तो मुस्लिम वोटर्स में बंटवारा होता, इसका सीधा फायदा BJP को होता. बीते चुनाव में भी फिरोज खान को 50 हजार वोट मिले थे.
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