Devendra Fadnavis: देवेंद्र फडणवीस ने पिया था 'जहर का घूंट', क्या आ गई 'महादेव' बनने की बारी?

Devendra Fadnavis Maharashtra: महाराष्ट्र की जीत का सेहरा देवेंद्र फडणवीस के सिर बांधा जा रहा है. उनकी रणनीति को जीत का कारण माना जा रहा है. अब सवाल ये उठता है कि देवेंद्र इस बार घोड़ी चढ़ेंगे या पहले की तरह बाराती ही रह जाएंगे. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Nov 24, 2024, 11:15 AM IST
  • देवेंद्र को भाजपा ने दिया था फ्री हैंड
  • संघ के भी नजदीकी हैं फडणवीस
Devendra Fadnavis: देवेंद्र फडणवीस ने पिया था 'जहर का घूंट', क्या आ गई 'महादेव' बनने की बारी?

नई दिल्ली: Devendra Fadnavis Maharashtra: माइथोलॉजी में समुद्र मंथन की कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव ने पिया था. इससे उनके कंठ नीले हो गए थे और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा. शिव का ये बलिदान हमेशा याद रखा जाता है. ऐसा ही त्याग भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी किया था. तारीख थी 30 जून, 2022. फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके थे, लेकिन उन्होंने एकनाथ शिंदे की सदारत मंजूर की और इसी तारीख को डिप्टी CM की शपथ ली. सियासत में पहले बार हुआ जब CM रहने वाले नेता ने डिप्टी की शपथ ली.

शिवसेना में हुई बगावत, शिंदे को बनना था CM
दरअसल, जून 2022 में शिवसेना में टूट के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी. बगावत के अगुवाई कर रहे एकनाथ शिंदे अपने विधायकों के साथ NDA में शामिल हो गए. शिंदे मुख्यमंत्री बनने की शर्त पर शिवसेना छोड़कर आए थे. भाजपा भी यह संदेश देना चाहती थी कि उसके साथ आने वाले नेताओं का पूरा सामान रखा जाता है. सबसे बड़ा दल होने के बावजूद शिंदे के लिए भाजपा ने सूबे की सबसे बड़ी गद्दी का मोह छोड़ दिया था. लेकिन शिंदे को CM बनाया जाए तो फडणवीस को कैसे एडजस्ट किया जाए? यही सवाल तब आलाकमान के दिमाग में था. फडणवीस 2014 से लेकर 2019 तक महाराष्ट्र के 5 साल के लिए CM रहे. फिर 2019 में ही 23 नवंबर से 28 नवंबर तक 5 दिन के लिए CM रहे. 

सबने डिमोशन माना, लेकिन...
CM रहे नेता को इससे छोटा पद मिलने पर किरकिरी मानी जाती है. देश की सियासत में आज तक ऐसा नहीं हुआ कि CM रहे शख्स ने बाद में किसी छोटे पद पद संतुष्टि कर ली हो, इसमें रबर स्टाम्प वाले मुख्यमंत्री अपवाद हैं. फिर भी भाजपा के आला नेताओं ने फडणवीस को डिप्टी CM बनने के लिए कहा. फडणवीस ने बिना किसी ना-नुकर के ये बात मान ली. कुछ लोगों को भले ये डिमोशन लगा हो. लेकिन इससे फडणवीस को दो फायदे हुए. पहला, भाजपा आलाकमान की नजरों में अपने नंबर बनाए. दूसरा, लंबी राजनीति के लिए खुद को तैयार किया. 

फडणवीस का त्याग, सब्र और रणनीति
भाजपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है. पार्टी ने अपने ही 10 साल पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया है. 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर थी, तब भी भाजपा महाराष्ट्र में 122 सीटें जीत पाई थीं. लेकिन इस बार भाजपा 149 सीटों पर लड़ी और 132 सीटों पर विजयी हुई है. इसका बड़ा श्री देवेंद्र फडणवीस के त्याग, सब्र और रणनीति को जाता है. फडणवीस जानते थे 'अपना टाइम आएगा'. यहां फडणवीस की वह बात मौजू है, जब उन्होंने कहा- मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा.

अब बनेंगे सूबे के CM?
चर्चा है कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे मजबूत धावक हैं. भाजपा ने उन्हें महाराष्ट्र में फ्री हैंड दिया, उनकी रणनीति पर काम किया और विजय प्राप्त की. फडणवीस ने भाजपा और संघ के बीच समन्वय बैठाया, दोनों के बीच पुल का काम किया. वे संघ और भाजपा आलाकमान, दोनों के यस मैन हैं. उनके पास पहले से ही सूबे को चलाने का अनुभव है. ये सारी खूबियां उनके सीवी को मजबूत करती हैं. 2022 में फडणवीस ने जो 'जहर' का घूंट पिया था, अब उन्हें उसका फल मिल सकता है. PM मोदी ने भी महाराष्ट्र फतेह करने के बाद जो जीत का भाषण दिया, उसमें बार-बार पार्टी की ज्यादा सीटों की बात कही. इससे संकेत मिलते हैं कि सूबे का अगला मुख्यमंत्री भाजपा से हो सकता है.

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