नई दिल्ली: Amethi Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही 'अमेठी' सीट पर सबकी नजरें टिकी हैं. भाजपा ने यहां से एक बार फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को टिकट दे दिया है. लेकिन कांग्रेस ने यहां से अभी तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. यदि यहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उतरते हैं, तो कड़ा मुकाबला हो सकता है. हालांकि, इसी बीच इसका जिक्र होने लगा है कि राहुल अमेठी से 2019 का लोकसभा चुनाव क्यों हार गए थे.
55 हजार वोटों से हारे थे राहुल गांधी
आजादी के बाद से कांग्रेस अमेठी लोकसभा सीट पर 16 बार जीत दर्ज कर चुकी है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से चुनाव हराया. स्मृति को 4.67 लाख वोट आए. जबकि राहुल को 4.12 लाख मत ही प्राप्त हुए. स्मृति 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी से 1.07 लाख वोटों से हार गई थीं. फिर 5 साल में ऐसा क्या हुआ कि स्मृति ने पूरी बाजी ही पलट दी? आइए, जानते हैं.
राहुल गांधी क्यों हारे चुनाव?
1. राहुल सक्रिय नहीं रहे
राहुल गांधी पर ये आरोप लगा कि वे 2014 में अमेठी से जीतकर निकले, उसके बाद सक्रिय नहीं रहे. स्थानीय लोग अपने सांसद तक नहीं पहुंच पाए. जबकि दूसरी ओर स्मृति ईरानी एक्टिव रहीं. अनंत विजय ने अपनी किताब 'अमेठी संग्राम' में बताया कि स्मृति ईरानी 5 साल तक अमेठी में सक्रिय रहीं. लोगों के दुःख-दर्द में शरीक हुई.
2. पिता राजीव जैसे नहीं बन पाए
चुनाव के बाद अमेठी से आई रिपोर्ट्स ने बताया कि राहुल अपने पिता राजीव गांधी जितने सफल नहीं हो पाए. राजीव के सांसद रहते हुए कई परियोजनाएं शुरू हुई थीं. इन्हें राहुल आगे नहीं बढ़ा पाए. कई योजनाएं तो बंद भी हो गईं. मसलन, राजीव गांधी जीवन रेखा एक्सप्रेस एक साल में एक बार महीने भर के लिए अमेठी आया करती थी. इस ट्रेन में डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम होती थी. ये लोगों का इलाज और बड़ी सर्जरी किया करते थे. लाखों लोगों को इससे फायदा हुआ. लेकिन राहुल के सांसद रहते ये सेवा बंद हो गई.
3. विधानसभा चुनाव में झेलनी पड़ी थी हार
लोकसभा चुनाव से पहले ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अमेठी से सफाया हो गया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर सपा जीती. कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया. जबकि तब सपा और कांग्रेस का गठबंधन भी था.
4. मेनका गांधी की सीट का असर
2019 में मेनका गांधी ने भी आक्रमक रूप से गांधी परिवार के खिलाफ प्रचार किया था. वे बगल की सीट सुल्तानपुर से भाजपा की उम्मीदवार थीं. उनका असर अमेठी सीट पर भी पड़ा.
5. पुराने कार्यकर्ताओं से दूरी
राहुल गांधी की हार की प्रमुख वजह ये भी थी कि पार्टी के पुराने कार्यकर्ता दूर हो गए थे. राजीव गांधी के सांसद रहते हुए वे उनसे टच में रहते थे. लेकिन राहुल उनसे संवाद स्थापित नहीं कर पाए. इस कारण उन्होंने राहुल के समर्थन में जी-जान से प्रचार नहीं किया.
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