इस बार नए नियम से सेना में होगी भर्ती, जानें क्या है शॉर्ट सर्विस की नई प्रक्रिया

सेना में भर्ती होने का सपना देख रहे युवाओं को जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है. 2 साल बाद फिर से सेना भर्ती शुरु होने वाली है लेकिन इस बार भर्ती नए फॉर्मूले से होगी. ऐसे में जानें क्या होगी नई प्रक्रिया.

Written by - Harish Sarswat | Last Updated : Apr 7, 2022, 01:35 PM IST
  • भारतीय सेना में 14 लाख से ज्यादा जवान
  • सेना में खाली है 1 लाख से ज्यादा पद
इस बार नए नियम से सेना में होगी भर्ती, जानें क्या है शॉर्ट सर्विस की नई प्रक्रिया

नई दिल्लीः सेना में भर्ती होने का सपना देख रहे युवाओं को जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है. 2 साल बाद फिर से सेना भर्ती शुरु होने वाली है लेकिन इस बार भर्ती नए फॉर्मूले से होगी, जिसके तहत जवानों को बेहद कम वक्त के लिए सेना में शामिल किया जाएगा. इस फॉर्मूले को टूर ऑफ ड्यूटी का नाम दिया गया है. कोरोना की शुरुआती 2 लहरों के चलते देशभर में लॉकडाउन लगे जिससे आर्मी भर्ती भी प्रभावित हुई. सिर्फ आर्मी ही नहीं बल्कि एयर फोर्स और इंडियन नेवी की भर्तियां भी 2 साल में प्रभावित हुई और हजारों नौजवान नौकरी से वंचित रह गए.

हर साल शामिल होते हैं हजारों युवा
देश के गांवों में, नेशनल हाइवे के किनारे सुबह शाम दौड़ लगाते हुए सैकड़ों युवा नजर आ जाते हैं लेकिन दो साल से बंद भर्ती से हजारों युवा ऐसे हैं जिनकी भर्ती की उम्र निकल चुकी है. सैकड़ों युवा ऐसे भी हैं जिनकी भर्ती की उम्र निकलने के करीब है. लेकिन युवाओं के लिए अब खुशखबरी है क्योंकि इंडियन आर्मी में जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरु होने वाली है. हालांकि इस बार होने वाली भर्ती नए फॉर्मूले के आधार पर होगी.

'टूर ऑफ ड्यूटी' के तहत होगी भर्ती
इस बार आर्मी भर्ती में नई टर्म लाई गई है जिसे टूर ऑफ ड्यूटी कहा जा रहा है. इस फॉर्मूले के तहत युवाओं को 3 से 5 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा. मतलब ये हुआ कि इस बार की सेना भर्ती के तहत युवा लम्बे वक्त तक सेना को सेवाएं नहीं दे पाएंगे. 3 से 5 साल बाद वो रिटायर हो जाएंगे. आमतौर पर सेना में भर्ती रिक्रूटमेन्ट रैली से होती है लेकिन इस बार शॉर्ट टर्म सर्विस के तहत भर्ती किए जाने की तैयारी हो रही है.

शॉर्ट सर्विस से पैसा बचाने की कोशिश में भारतीय सेना
टूर ऑफ ड्यूटी का फॉर्मूला भी 2 साल पहले ही लाया गया था. जिसके तहत कहा गया कि युवाओं को 3 साल के लिए भर्ती किया जाए. इसके पीछे तर्क दिया गया कि इससे आर्मी का खर्च कम होगा और बचे हुए पैसे को सेना के आधुनिकीकरण के लिए खर्च किया जा सकेगा. इससे सेना के रिटायर्ड जवानों के पेंशन पर होने वाले भारी भरकम खर्च में भी कमी आएगी.

'टूर ऑफ ड्यूटी' पर रिटायर्ड अधिकारी उठा रहे सवाल
टूर ऑफ ड्यूटी के फॉर्मूले के तहत भर्ती पर सेना के रिटायर्ड अधिकारी ही सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इससे सेना की काबिलियत पर असर पड़ेगा. रिटायर्ड मेजर जनरल यश मोर का कहना है कि टूर ऑफ ड्यूटी से सेना का ढांचा खराब होगा. एक युवक को एक्सपर्ट सैनिक बनने में कई साल लगते हैं. स्किल विकसित करने में लंबा समय लगता है इसलिए शॉर्ट टर्म सैनिक सेना में नहीं चल सकते. युवाओं की ट्रेनिंग में ही 1 साल का वक्त लगता है और टूर ऑफ ड्यूटी के तहत एक्सपर्ट सैनिक बनने से पहले ही जवान सेना से बाहर हो चुके होंगे.

'रेग्युलर आर्मी में टूर ऑफ ड्यूटी से बढ़ेगी परेशानी'
रिटायर्ड मेजर जनरल यश मोर मानते हैं कि टूर ऑफ ड्यूटी से खर्च कम होगा लेकिन वो ये भी चिंता जताते हैं कि कई देशों में टूर ऑफ ड्यूटी का फॉर्मूला फेल हो चुका है. वो कहते हैं कि रूस की आर्मी में भी टूर ऑफ ड्यूटी लागू है और यही कारण है कि यूक्रेन में रूस की सेना को बड़ा नुकसान हो रहा है. रिटायर्ड मेजर जनरल यश मोर के मुताबिक टूर ऑफ ड्यूटी का फॉर्मूला उन देशों के लिए अच्छा हो सकता है जो छोटे हैं और जहां सेना के लिए वॉलिंटियर्स मुश्किल से मिलते हों. लेकिन भारत में तो युवाओं का पहला फोकस सेना में भर्ती होता है इसलिए भारत में टूर ऑफ ड्यूटी मुश्किलें ही लेकर आएगा.

'पैरामिलिट्री फोर्स में पहले लागू किया जाए नियम'
रिटायर्ड मेजर जनरल यश मोर कहते हैं कि टूर ऑफ ड्यूटी के फॉर्मूले को अपनाना है तो सेना से पहले इसे सीआरपीएफ, सीआईएसएफ या बीएसएफ जैसे पैरामिलिट्री फोर्स में लागू करके देखा जाना चाहिए. वहीं रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक कुमार मानते हैं कि सेना में सभी के लिए ये फॉर्मूला लागू नहीं हो सकता. टूर ऑफ ड्यूटी को कुछ हिस्सों में लागू किया जा सकता है. आर्मी में कुछ ऐसे एरिया हैं जो युद्ध से सीधे जुड़े नहीं हैं उन एरिया में ये फॉर्मूला फिट हो सकता है.

रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक कुमार मानते हैं कि टूर ऑफ ड्यूटी आर्मी की जैग ब्रांच में लागू किया जा सकता है जहां कोई एडवोकेट आकर 3 साल या 5 साल के लिए वॉलिंटियर कर सकता है. टूर ऑफ ड्यूटी के फॉर्मूले को सिग्नलिंग में लागू किया जा सकता है. यानि, उन एरिया में जहां आर्मी में खास स्किल की जरूरत नहीं है और सिर्फ ओरिएंटेशन के जरिए ही काम चल सकता है, लेकिन रेग्युलर आर्मी में इससे परेशानी ही होगी. 

- भारतीय सेना में 14 लाख से ज्यादा जवान
- उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 1,68,000 जवान सेना में
- दूसरे नम्बर पर पंजाब, 89,000 जवान सेना में
- तीसरे नम्बर पर महाराष्ट्र से 88,000 जवान सेना में
- चौथे नम्बर पर राजस्थान, 80,000 जवान सेना में

भारतीय सेना में खाली है 1 लाख से ज्यादा पद
भारत में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को मिलाकर 1,25,364 जवानों की भर्ती की जानी है. टूर ऑफ ड्यूटी के तहत आर्मी का कहना है कि शॉर्ट टर्म सर्विस के बाद सेना से बाहर निकलने वाले जवानों को रोजगार दिलाने में आर्मी की तरफ से गाइडेंस भी दी जाएगी.

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