नई दिल्ली: ये घटना है वर्ष 1955 की, जब चीन के प्रधानमंत्री चू आन लाई की जान पर खतरा मंडरा रहा था. हालांकि, इस खतरे की वजह से भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक नया आयाम आ गया था. उस समय एनलाई बांडुंग सम्मेलन (एशिया-अफ्रीका सम्मेलन) में भाग लेने वाले थे. इस सम्मेलन का आयोजन इंडोनेशिया में होने जा रहा था. इस दौरान भारत के मशहूर जासूस आर एन काव को उनकी जान की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. क्या है ये पूरा मामला और भारत के जासूस को क्यों मिली ये जिम्मेदारी, चलिए जानते हैं.
भारत के विमान में जाने वाले थे चू आन लाई
अप्रैल 1955 को चीन के प्रधानमंत्री चू आन लाई बांडुंग सम्मेलन में भाग लेने के लिए जा रहे थे. इस खास सम्मेलन के लिए चीन की सरकार ने भारत का विमान 'कश्मीर प्रिंसेस' चार्टर किया था. यह विमान हांग कांग से जकार्ता के लिए उड़ान भरने वाला था. चीन के प्रधानमंत्री चू आन लाई इसी विमान में यात्रा करने वाले थे. हालांकि ऐन मौके पर उनकी तबीयत बिगड़ गई.
अपेंडिसाइटिस का उठा था दर्द
बताया जाता है कि उन्हें अपेंडिसाइटिस का दर्द उठ गया था, इस वजह से उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी. हालांकि, विमान ने उड़ान भरी और इंडोनेशिया के तट के पास जाकर यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस विमान में बेशक चीन के प्रधानमंत्री सफर नहीं कर पाए, लेकिन इसमें ज्यादातर यात्रा करने वालों लोगों में चीनी अधिकारी और पत्रकार मौजूद थे, जो हादसे के दौरान मारे गए.
आर एन काव ने सुलझाया था केस
इस घटना की गंभीरता को समझते हुए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के सबसे काबिल जासूस आर एन काव को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी. उस समय आर आन काव इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में एक महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे. काव ने भी पूरी गंभीरता से इस जांच का नेतृत्व किया.
रजी गई थी साजिश
काव जांच के दौरान हादसे के पीछे की साजिश का पता लगाने का प्रयास किया. अपनी जांच में वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि विमान क्रैश होना कोई सामान्य दुर्घटना नहीं थी, बल्कि यह हत्या का प्रयास था उन्होंने पता लगाया कि इस दुर्घटना के पीछे ताइवान की खुफिया एजेंसी का हाथ था.
बाल-बाल बची थी चीनी पीएम की जान
वहीं, चीनी प्रधानमंत्री चू आन लाई की जान बाल-बाल बच गई. वह काव की जांच से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने काव को अपने दफ्तर बुलाया और उन्हें विशेष सम्मान दिया. इसके बाद यह घटना भारत और चीन के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक विशेष कारण बन गई.
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