नई दिल्ली: Jhansi Medical College Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुई घटना ने सबको हिला दिया है. अस्पताल में लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला जाता है, लेकिन झांसी के मेडिकल कॉलेज में 10 मासूम जिंदगियां अग्निकांड में जल गईं. अब सवाल ये उठ रहा है कि ऐसा हुआ कैसे, क्या इन 10 मासूम बच्चों की जान बचाई जा सकती थी? चलिए, इन सवालों के जवाब जानते हैं.
कैसे लगी आग?
यूपी के झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बीती राह ही 10 बच्चों की जिंदा जलकर मौत हो गई. चिल्ड्रन वार्ड में आग लगने से इन बच्चों की मौत हुई है. आग का कारण इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है. आग लगने से वहां पड़े सिलेंडर भी फट गए और बड़ा हादसा हो गया.
ये दो चीजें होतीं, तो नहीं जाती जानें
1. सुरक्षा उपकरण: रिपोर्ट्स के मुताबिक, आग लगने और सिलेंडर फटने की जानकारी स्टाफ को नहीं पता लग पाई, क्योंकि अस्पताल के अलार्म खराब पड़े थे. अलार्म बजते तो स्टाफ बच्चों को लेकर बाहर आ सकता था. धुंआ निकलते हुए देखने के बाद शोर मचा, तब तक स्थिति काबू से बाहर हो चुई थी. अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण भी खराब पड़े थे, वे भी काम नहीं आए. लिहाजा, अस्पताल के अंदर अच्छे और काम करने वाले सुरक्षा उपकरण होते तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी.
2. दूसरा एग्जिट गेट: रिपोर्ट्स में बताया गया है कि झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के चिल्ड्रन वार्ड में एक ही एग्जिट गेट था. इससे फायर कर्मी एक-एक करके अंदर गए, एक बार में 2-3 बच्चों को ही बाहर ला पाए. खिड़कियां तोड़कर भी बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास किया गया. यदि वार्ड में दूसरा एग्जिट गेट होता तो फायर कर्मी अधिक संख्या में अंदर जा सकते थे, ज्यादा बच्चों की जान बच सकती थी.
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