नई दिल्लीः Jharkhand: बुधवार 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 6 घंटे से अधिक समय के पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है. इस दौरान ईडी की ओर से बताया गया कि वे हेमंत सोरेन द्वारा दिए गए उनके सवालों के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. बहरहाल, हेमंत सोरेन झारखंड में गिरफ्तार होने वाले कोई पहले सीएम नहीं हैं. अभी तक झारखंड के तीन पूर्व सीएम की गिरफ्तारी हो चुकी है. आइए जानते हैं उन सभी के बारे में.
2000 में बना झारखंड
15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड एक नया राज्य बना. बिहार से झारखंड को अलग हुए करीब-करीब ढाई दशक बीत चुके हैं और प्रदेश में 6 मुख्यमंत्री बन चुके हैं. ताज्जुब की बात है कि इनमें से तीन मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. इसके अलावा झारखंड में अभी तक तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा चुका है. झारखंड में रघुवर दास ही ऐसे सीएम हुए हैं, जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है.
तीन पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं गिरफ्तार
झारखंड में अभी तक बने 6 मुख्यमंत्रियों में जिन तीन की गिरफ्तारी हो चुकी है, उनमें हेमंत सोरेन, उनके पिता शिबू सोरेन और मधु कोड़ा का नाम शामिल है. हालांकि, बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा. ये तीनों मुख्यमंत्री बीजेपी से रहे हैं. मधु कोड़ा सीएम पद पर रहते हुए कोड़ा भ्रष्टाचार के केस में फंसे थे. नतीजतन उन्हें जेल जाना पड़ा था. मधु कोड़ा के ऊपर आय से अधिक संपत्ति रखने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे.
आवंटन के बदले रिश्वत लेने का लगा था आरोप
तब CBI की ओर से मधु कोड़ा के ऊपर आरोप लगाए थे कि उन्होंने सीएम रहते हुए कोयला खदानों के आवंटन के बदले रिश्वत ली थी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो यह रकम 4 हजार करोड़ रुपये की थी. साल 2009 में गिरफ्तारी के बाद मधु कोड़ा को 2013 में जमानत मिली थी. वहीं, साल 2017 में उन्हें दोषी करार दिया गया और 25 लाख के जुर्माने के साथ 3 सालों की सजा सुनाई गई. वहीं, हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को 5 दिसंबर 2006 में दिल्ली की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री थे शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को 1994 में अपने निजी सचिव शशि नाथ झा की हत्या कराने के मामले में दोषी ठहराया गया था. तब शिबू सोरेन मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में कोयला मंत्री थे. हालांकि, इसके कुछ ही समय बाद साल 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने शिबू सोरेन को बरी कर दिया और सबूतों में अभाव को लेकर सीबीआई की खिंचाई की थी. इसके बाद साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.
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