नई दिल्ली. ब्रिटिशकालीन कानून में बदलाव के लिहाज से बुधवार एक अहम दिन रहा. तीनों नए क्रिमिनल बिल लोकसभा से पास कर दिए गए हैं. वहीं दो नए सांसदों निलंबन के साथ कुल निलंबित सांसदों की संख्या 143 हो चुकी है. गृह मंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों पर कहा- गरीबों के लिए न्याय पाने की राह में सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक तंगी के रूप में आती है. वर्षों तक तारीख पर तारीख मिलती रहती हैं. अब हमने इसके मद्देजनर कई बदलाव किए हैं. लोकसभा से पास हुए तीनों बिल हैं- भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023, लोकसभा ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023.
अमित शाह ने कहा कि तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए विधेयक गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं. उन्होंने कहा कि ‘व्यक्ति की स्वतंत्रंता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार’ रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं.
#WATCH | Delhi: Home Minister Amit Shah in Lok Sabha says, "...For poor, the biggest challenge to get justice is the financial challenge...For years 'Tareekh pe tareekh' keep going. Police hold the judicial system responsible. The government holds the police and judiciary… pic.twitter.com/B2EFtlhMzP
— ANI (@ANI) December 20, 2023
बगैर नाम लिए कांग्रेस पर साधा निशाना
अमित शाह ने बगैर नाम लिए कांग्रेस पर निशाना भी साधा. उन्होंने कहा कि अगर मन इटली का है तो ये कानून कभी समझ नहीं आएगा, लेकिन अगर मन यहां का है तो समझ आ जाएगा. आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है जो भारत की जनता का हित करने वाले हैं. पहले के कानूनों के तहत ब्रिटिश राज की सलामती प्राथमिकता थी, अब मानव सुरक्षा, देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है.
मॉब लिंचिंग, राजद्रोह पर हुए क्या बदलाव?
शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है. इस अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है. मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है.
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