महात्मा गांधी ने भारत को दिया सबसे बड़ा हथियार, इसके सामने गोला-बारूद और बंदूक-तोप भी फेल!

Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गांधी कभी भी युद्ध के पक्ष में नहीं थे. उन्होंने जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर को द्वितीय विश्व युद्ध रोकने के लिए पत्र लिखा थे. उनका मानना था कि मानवता को बचाए रखने के लिए युद्ध नहीं करना चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 30, 2025, 04:05 PM IST
  • गांधी ने हिटलर को पत्र लिखा था
  • युद्ध रोकने की अपील की थी
महात्मा गांधी ने भारत को दिया सबसे बड़ा हथियार, इसके सामने गोला-बारूद और बंदूक-तोप भी फेल!

नई दिल्ली: Mahatma Gandhi Death Anniversary: देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी की लंबी लड़ाई लड़ी. उन्होंने लड़ाई के लिए बंदूक तो छोड़िए, कभी लाठी का भी प्रयोग नहीं किया. फिर भी गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लंबा संघर्ष किया. आखिर गांधी के पास ऐसा क्या हथियार था, जो अंग्रेजों के भी पसीने छुड़ा देता था. आइए, जानते हैं कि गांधी ने भारत को ऐसा कौनसा कारगर हथियार दिया, जिसके आगे गोला-बारूद भी काम नहीं आते.

गांधी का सबसे बड़ा हथियार 'अहिंसा'
गांधी का अंग्रेजों से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार 'अहिंसा' था. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 2 अक्टूबर, 2024 (गांधी जयंती) को कहा- 'दुनियाभर में टकराव हो रहा है, इसे तबाही मच रही है. महात्मा गांधी का विश्वास था कि अहिंसा, मानव के पास उपलब्ध सबसे महान शक्ति है. अहिंसा किसी भी हथियार से कहीं अधिक ताकतवर है.'

गांधी के युद्ध पर क्या विचार थे? 
महात्मा गांधी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अहिंसा के सिद्धांत पर कायम रहे. हालांकि, उनके विचारों को लेकर कुछ विवाद भी है. बापू का मानना था कि युद्ध अनैतिक होता है. यह मनुष्य के जीवन और संपत्ति का विनाश करता है. गांधी का मानना था कि विवादों को बातचीत और समझौते के जरिए हल किया जाना चाहिए.

जब गांधी ने हिटलर को लिखा पत्र
गांधी ने जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर को एक पत्र भी लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा- 'प्रिय मित्र, कुछ दोस्त चाहते थे कि मानवता के नाते मैं आपको लिखूं लेकिन मुझे यही लगता रहा कि शायद ये गुस्ताख़ी होगी. लेकिन कुछ है जो कहता है कि मुझे अधिक हिसाब-किताब नहीं करना चाहिए और अपनी बात रख देनी चाहिए. ये स्पष्ट है कि इस वक्त में आप दुनिया में वो इंसान हैं, जो चाहे तो मानवता के लिए युद्ध रोक सकता है. बेशक आप जो हैं, उसकी कीमत आपने चुकाई होगी. फिर भी क्या आप एक ऐसे व्यक्ति की अपील सुनेंगे, जिसने युद्ध को जानते बूझते नामंजूर किया है? आपका दोस्त, एम.के. गांधी' इस पत्र से साफ है कि गांधी युद्ध के पक्ष में नहीं थे.

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