नई दिल्ली. कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते 26 अक्टूबर को अपने कार्यकाल का पहला साल पूरा किया. खड़गे के इस एक साल के दौरान अगर पार्टी के लिए सबसे अहम पड़ाव की चर्चा की जाए तो ये कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में मिली चुनावी जीत है. ये दोनों ही जीत कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को फिर से जीवंत करने में सक्षम रही है. साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने में भी सक्षम रही है.
शशि थरूर को चुनाव हराकर अध्यक्ष बने थे खड़गे
खड़गे बीते साल चुनाव में कांग्रेस नेता शशि थरूर को हराकर अध्यक्ष बने थे. कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है-कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं. खड़गे कांग्रेस के लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, समावेशी विकास और देशभक्ति के गुणों के प्रतीक हैं.
क्या बोली कांग्रेस...
कांग्रेस ने कहा है कि ब्लॉक स्तर के नेता की एक साधारण स्थिति से लेकर पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष बनने तक, 55 साल की चुनावी सफलता से भरी उनकी यात्रा लोकतंत्र के प्रति उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता का प्रमाण है. उनके नेतृत्व में पार्टी ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को पुनर्जीवित करने और लोगों तक पहुंच बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
पार्टी के कामकाज में लाए जरूरी बदलाव
खड़गे ने पार्टी के कामकाज में बहुत जरूरी बदलाव लाया है. उन्होंने पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था सीडब्ल्यूसी का पुनर्गठन किया, जिसमें थरूर, सचिन पायलट, प्रियंका गांधी वाड्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं. पैनल में 39 सामान्य सदस्य हैं. इसमें 32 स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं, जिनमें कुछ राज्य प्रभारी और 13 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हैं.
कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक खड़गे ने कांग्रेस के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय में अनुभवी और युवा नेताओं के मिश्रण के साथ सीडब्ल्यूसी का पुनर्गठन किया, जिसने अनुभवी नेताओं के अनुभव के साथ फ्रेश ब्लड और ऊर्जा को संक्रमित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए लचीलेपन की स्पष्ट झलक दी.
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