नई दिल्लीः 11 साल की बच्ची कंकरीले-पथरीले रास्तों पर दस किलोमीटर चली, पैदल चलते हुए कलेक्टर ऑफिस पहुंची और अपने साथ हो रहे अन्याय की दास्तां सुनाकर न्याय मांगा. यह अन्याय उसके साथ कोई और नहीं बल्कि उसका पिता ही कर रहा था.
मासूम बच्ची की इस नन्हीं कोशिश पर कलेक्टर का दिल भी पिघल गया. उन्होंने बच्ची के साथ न्याय तो किया ही साथ ही बिटिया के हक की लड़ाई भी सोशल मीडिया पर छा गई.
कलेक्टर ने लगाई फटकार
जानकारी के मुताबिक, ओडिशा की एक छह साल की बच्ची ने हैरतअंगेज तरीके से अपना हक हासिल किया. मासूम बच्ची अपने पिता की शिकायत करने दस किलोमीटर का सफर पैदल तय करके कलेक्टर के दफ्तर पहुंची थी.
बच्ची ने जिले के कलेक्टर को बताया कि उसके पिता उसे खराब खाना देते हैं. जबकि सरकार से मिलने वाला राशन और मदद की धनराशि से वो बेटी पर कुछ भी खर्च नहीं करते. छोटी बच्ची की शिकायत पर आनन-फानन में कार्रवाई हुई और उसके पिता को फटकार लगाते हुए नसीहत दी गई.
पिता हड़प रहा था सरकारी मदद
शिकायत के बाद डीएम ने बच्ची के नाम पर जारी होने वाली धनराशि उसके ही खाते में जमा करने और अभी तक सरकारी सहायता से मिले चावल और रुपए भी उसके पिता से लेकर बच्ची को देने का आदेश दिया गया है. दरअसल मासूम बच्ची सरकारी स्कूल में पढ़ती है.
कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में नन्हे-मुन्नों को दोपहर में मिलने वाला भोजन बंद हो गया था. तब राज्य सरकार ने मिड डे मील बंद होने पर बच्चों के नाम रोजाना आठ रुपए उनके माता-पिता के खाते में भेजेने की शुरुआत की थी. वहीं हर बच्चे के लिए रोजाना 150 ग्राम चावल देने की व्यवस्था शुरू हुई थी.
पिता ने कर ली है दूसरी शादी
पुलिस की ओर से बताया गया कि बच्ची के पिता उसके साथ नहीं रहते. कुछ साल पहले मां का मौत हुई थी तो पिता ने दूसरी शादी कर ली, तब मामा ने सहारा दिया. उसके पास बैंक खाता होने के बावजूद सरकारी मदद का पैसा पिता के खाते में जा रहा था.
वहीं पिता, बेटी को स्कूल से मिलने वाले मिड डे मील का चावल भी ले रहा था लेकिन उसे बेटी तक नहीं पहुंचने देता था.
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