New Year 2021 के पहले ही दिन बड़ा अशुभ, राजस्थान में बड़ी संख्या में मोरों की मौत

राष्ट्रीय पक्षी मोर के सैकड़ों की संख्या में मृत मिलने से लोग अधिक दहशत में है. दरअसल मोर (Peacock) भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है. इसके अलावा इसका धार्मिक महत्व भी है. बीते साल भी ऐसी कई घटनाओं से दहशत का आलम रहा है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 1, 2021, 09:28 PM IST
  • नागौर के मकराना में 100 से अधिक राष्ट्रीय पक्षियों की मौत हो गई
  • बीते साल चमगादड़ों, गायों, मोरों की मौत की बहुत सी खबरों ने डराया
New Year 2021 के पहले ही दिन बड़ा अशुभ, राजस्थान में बड़ी संख्या में मोरों की मौत

नई दिल्लीः New Year 2021 में कामना की जा रही है कि यह साल बीते साल 2020 की तरह के रंग-ढंग न दिखाए. सुबह तक सबकुछ ठीक था, लेकिन दोपहर को राजस्थान से आई एक खबर ने फिर से चिंता में डाल दिया. सामने आया कि नागौर (Nagaur) जिले के मकराना (Makrana) के एक गांव में कई पक्षी म़ृत मिले हैं.

इनमें से सबसे अधिक संख्या राष्ट्रीय पक्षी मोर की है. इसके अलावा कौवे और कबूतरों के भी शव मिले हैं. इस घटना को साल के पहले ही दिन  अमंगल के तौर पर देखा जा रहा है. 

राष्ट्रीय पक्षी मोर के सैकड़ों की संख्या में मृत मिलने से लोग अधिक दहशत में है. दरअसल मोर (Peacock) भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है. इसके अलावा इसका धार्मिक महत्व भी है. भगवान कृष्ण मोर का मुकुट पहनते हैं और भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है. ऐसे में गांव में हुई इस दुर्घटना से लोग अधिक भयभीत हैं. कालवां गांव जहां यह घटना सामने आई है, वहां क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है. 

पक्षियों की मौत इस तरह अचानक क्यों हुई इसकी कोई जानकारी शाम तक नहीं मिल पाई थी. मकराना तहसीलदार, वन विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे. इसके साथ ही चिकित्सकों की टीम भी कालवा गांव पहुंची. सामने आया है कि कुछ पक्षी बीमार भी हैं. 

झालावाड़ में 50 कौवों की मौत, बर्ड फ्लू फैलने की आशंका
Rajasthan में Corona के बीच एक और संकट आ गया है. यहां झालावाड़ में 50 कौवों की मौत की सरकार ने पुष्टि की है. यहां भी इतने सारे कौवों की मौत के कारण जिला प्रशासन और लोगों के बीच भय का वातावरण बन गया है.  प्रशासन की ओर से राड़ी के बालाजी क्षेत्र में (जहां यह घटना हुई) 1 किलोमीटर के क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है . साथ ही रैपिड रिस्पांस टीम का गठन भी कर दिया गया है. प्रशासन ने बर्डफ्लू की आशंका जताई है. 

पक्षियों की मौत की खबर सामने आने के साथ ही अनिष्ट का आशंका जैसी चर्चाएं भी चल पड़ीं. लोग Year 2021 के पहले दिन की तुलना  बीते साल Year 2020 की तरह करने लगे. ऐसी चर्चाओं के पीछे वजह भी रही, क्योंकि बीते Year 2020 में ऐसी कई खबरें सामने आई थीं, जिनमें अधिक संख्या में पक्षियों और पशुओं की जान गई थी. लोगों ने इन घटनाओं को मनहूस बताया था. 

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राजसमंद में 19 मोरों की मौत
April 2018 में Rajasthan के राजसमंद जिले में अचानक ही 19 मोरों की मौत की खबर सामने आई. Corona महामारी और इस दौरान हुए lockdown से लोगों में पहले ही दहशत थी. बड़ी संख्या में मोरों की मौत ने उन्हें और डरा दिया. पहले  वन विभाग की टीम और रक्षक इसे शिकार समझ रहे थे लेकिन पशु चिकित्सकों ने इसे शिकार नहीं माना. 

राजसमंद जिले में पर्वत खेड़ी की पहाड़ी पर यह हादसा हुआ था. यहां हफ्ते भर पहले भी जहरीला दाना खिलाकर 32 तीतरों और पांच मोरों को मारा गया था. ऐसे में लोग इस घटना पर आश्चर्य जता रहे थे. 

गोरखपुर में 300 चमगादड़ों की मौत
2020 में Corona की चर्चा के साथ चमगादड़ों की चर्चा भी खूब हुई. पहले कहा गया कि चीन वालों के चमगादड़ खाने के कारण ही Corona फैला. इन चर्चाओं को अपशकुन का साथ तब मिला जब मई 2020 में गोरखपुर के एक गांव में 300 चमगादड़ (300 Bats) मृत पाए गए.

इसे लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश (East UP) में ऐसा भय फैला कि इससे देशभर में डर का माहौल बन गया. हालांकि हफ्ते भर में सामने आया कि चमगादड़ों की मौत गर्मी के कारण हुई. लेकिन एक साथ इतनी मौतों को देखकर एक बारगी वन विभाग भी सकते में आ गया था. 

बैतूल (मध्य प्रदेश) में भी चमगादड़ मरे
ठीक इसी समय बैतूल (मध्य प्रदेश) में भी चमगादड़ों की सिलसिलेवार मौत हुई. ऐसा लगातार होते रहने से डर का बढ़ना लाजिमी थी. स्थानीय लोगों ने बताया कि पेड़ों से चमगादड़ एक-एक करके गिर रहे थे और मर जा रहे थे. बैतूल में भी दहशत का आलम रहा. बताया गया कि 

बैतूल जिले के बेहड़ा ढाना इलाके में नीलगिरी के पेड़ों पर लटके दर्जनों चमगादड़ मरने के बाद पेड़ों के नीचे बिखरे पड़े थे तो कई पेड़ों पर मृत अवस्था में लटके हुए मिले. यह नजारा अपने आप में वीभत्स था. देश भर मे चमगादड़ों के मरने की खबर फैल गई.

विशेषज्ञों ने कहा कि चमगादड़ अधिक गर्मी नहीं झेल पाते. लेकिन लोगों का कहना था कि उन्होंने पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की ऐसी मौत देखी थी. 

जून में गायों की मौत
जून 2020 में उत्तर प्रदेश से एक और दिल दहलाने वाली घटना सामने आई. यहां के बांदा जिले के एक गांव में बड़ी संख्या गायों-गोवंशों की एक साथ मौत हो गई थी.  बांदा के बिसंडा में खेत में हरा चारा खाने के बाद 15 गाय व गौवंश ने तड़पकर दम तोड़ दिया था.

बांदा जिला प्रशासन का कहना था कि इन गायों की मौत जहरीला चारा खाने की वजह से हुई. प्रशासन ने गायों को जमीन में दफन करवा दिया था. गायों की मौत का कारण जहरीला चारा रहा, लेकिन लोगों ने इसे बुरे संकेत के तौर पर देखा था. 

साल के पहले दिन भले ही मोरों के मरने की वीभत्स घटना सामने आई है, लेकिन उम्मीद करते हैं कि साल अच्छा ही बीते. 

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