जब आतंकी ने इस सरपंच से पूछा कि तुम कहां थे? उसने बताया तो गोलियों से भून दिया

एक सरपंच ने आतंकियों को चुनौती देते हुए कहा है कि "मैं भारतीय मातृभूमि में पैदा हुआ हूं, मैं भारतीय हूं और मैं भारतीय मरूंगा और मैं भारतीय रहूंगा. मेरे पिता भारतीय थे और में भारतीय हमेशा रहूंगा. चाहिए कुछ भी हो जाए."

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 3, 2020, 04:22 PM IST
    • आतंकियों को गुलाम मोहम्मद मीर की खुली चुनौती
    • "मैं भारतीय मातृभूमि से पैदा हुआ हूं और मैं भारतीय हूं"
    • 2001 में आतंकियों ने सरपंच को 12 गोलियों से भूना था
जब आतंकी ने इस सरपंच से पूछा कि तुम कहां थे? उसने बताया तो गोलियों से भून दिया

जम्मू कश्मीर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा का एक सरपंच देशभक्ती की एक नई मिसाल कायम कर रहा है. उनके शरीर में 12 गोलियां लगने के बावजूद उनके साहस और देशभक्ती में जरा भी कमी नहीं हुई.

इस सरपंच ने दी आतंकियों को चुनौती

ऐसे समय में, जब पुलवामा आतंकवादी संबंधित सभी घटनाओं और जहां से राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए आए दिन धमकियां दी जा रही हैं. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के एक सरपंच ने देशभक्ती की एक नई मिसाल कायम की है. गुलाम मोहम्मद मीर ने आतंकियों को चुनौती देते हुए ये साफ कर दिया है कि वो एक सच्चे हिन्दुस्तानी हैं.

गुलाम मोहम्मद मीर ने कहा कि उनके खून की हर बूंद राष्ट्र के लिए है. अगर उसे अपने देश के लिए खून की हर बूंद देनी है, तो वह पीछे नहीं हटेंगे. वह भारतीय थे और एक भारतीय ही मरेंगे.

जब आतंकियों ने सरपंच को मारी थी 12 गोलियां

सरपंच पर हुए आतंकी हमले के बावजूद जिसने उसके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया. उनके शरीर में 12 गोलियां लगने के बावजूद उनके साहस और देशभक्ती में जरा भी कमी नहीं दिख रही है.

गुलाम मोहम्मद मीर को आतंकियों ने वर्ष 2001 में उनके घर के बाहर 12 गोली मारी थी. खून से लथपथ पड़े उन्हें अस्पताल शिफ्ट किया गया था. उन्हें कई सर्जरी से गुजरना पड़ा. 19 साल बाद भी उस हमले की याद उनका पीछा नहीं छोड़ती वह आज अपाहिज हो गाए मगर देश के लिए आज भी काम कर रहे है. उन्होंने हमले के बाद भी ज़िंदगी की जंग लड़ीऔर जीत हासिल की, आज भी उन्हें वो दिन याद है जब आतंकी ने उस पर हमला किया था.

सबकुछ बेचकर मीर ने बचाई थी अपनी जान

सरपंच गुलाम मोहम्मद मीर ने कहा कि "आतंकी ने मुझसे पूछा कि तुम कहां थे? मैंने उसे बताया कि कुछ ग्रामीणों की गायें खो गई थीं और हम उसे मामले को सुलझा रहे थे. तभी उसने मुझे पर 60 गोलियां तबडतोड़ मारी लेकिन 12 गोलियां मेरे पैरों पर लगी, दुःख है कि उस वक्त सरकार ने मेरे लिए कुछ नहीं किया और मुझे अपने इलाज के लिए सब कुछ बेचना पड़ा."

मीर ने 2018 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पंचायत चुनाव लड़ा और बाद में 2019 में उन्होंने ब्लॉक डेवेलप्मेंट काउंसिल (BDC) के चुनाव भी जीते. मीर इस साल की शुरुआत में बीजेपी में शामिल हो गए.

जैसा कि घाटी में भाजपा के सदस्यों और सरपंचों पर खतरा मंडरा रहा है. विशेष रूप से भाजपा के सदस्यों पर कई हमले हुए हैं और तब से इन सभी कार्यकर्ताओं को सुरक्षित स्थान पर रखा गया हैं. मीर इन हमलों के लिए नेशनल कान्फ्रेंस (NC) और पीडीपी जैसे क्षेत्रीय दलों को जिम्मेदार ठहराया है.

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