बच्चे के गले में फंसा था सिक्का, कोरोना के कारण अस्पताल ने नहीं किया भर्ती, मौत

केरल के अलुआ जिले से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है. यहां एक तीन साल के बच्चे ने गलती से सिक्का निगल लिया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. परिवार वालों का आरोप है कि सरकारी अस्पतालों ने बच्चे को एडमिट करने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका घर कोरोना कंटेनमेंट जोन में था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 2, 2020, 04:27 PM IST
    • केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
    • अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने दावा किया कि अस्पताल में कोई पीडियाट्रिक सर्जन नहीं था
बच्चे के गले में फंसा था सिक्का, कोरोना के कारण अस्पताल ने नहीं किया भर्ती, मौत

तिरुवनंतपुरमः कोरोना महामारी के बीच जहां डॉक्टर और नर्स कोरोना योद्धा कहकर संबोधित किए जा रहे हैं और सम्मानित हो रहे हैं. वहीं इस बीच कई जगहों पर उनका दूसरा ही चेहरा नजर आ रहा है जो कि लापरवाही भरा और अमानवीय है. केरल के अलुआ जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है.

यहां एक तीन साल के बच्चे को सिर्फ इसलिए भर्ती नहीं किया गया क्योंकि उसका घर कंटेनमेंट जोन में था. बच्चे ने सिक्का निगल लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई. 

परिवार ने लगाया आरोप
जानकारी के मुताबिक, केरल के अलुआ जिले से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है. यहां एक तीन साल के बच्चे ने गलती से सिक्का निगल लिया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. परिवार वालों का आरोप है कि सरकारी अस्पतालों ने बच्चे को एडमिट करने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका घर कोरोना कंटेनमेंट जोन में था.

परिवार वाले बच्चे को घर ले आए, जिसके बाद शाम को बच्चे ने दम तोड़ दिया. 

एक्सरे में सिक्का फंसा दिखा
घटना शनिवार सुबह की है.  परिवार ने कहा कि बच्चे ने खेल में सिक्का निगल लिया था तकलीफ होने पर वे फौरन बच्चे को अलुवा सरकारी सरकारी अस्पताल ले गए. यहां एक्सरे में पता चला कि सिक्का अंदर मौजूद है. परिवार का आरोप है कि इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने बच्चे को एडमिट नहीं किया.

केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. 

स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश
स्वास्थ्य मंत्री ने इसे लेकर कड़ी जांच व कार्रवाई के आदेश दिए हैं. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव को जांच के बाद रिपोर्ट सौंपने को कहा है. उन्होंने एक बयान में कहा कि यदि कोई लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.

अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने दावा किया कि अस्पताल में कोई पीडियाट्रिक सर्जन नहीं था, इसलिए बच्चे को एर्नाकुलम जनरल हॉस्पिटल रेफर किया गया था. वहां डॉक्टरों ने उसकी जांच की और बेहतर इलाज के लिए अलाप्पुजा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. 

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