नई दिल्लीः दूरसंचार विभाग ने क्षेत्र के नियामक ट्राई से इंटरनेट के जरिये कॉल और व्हॉट्सएप, सिग्नल और गूगल मीट जैसे संदेश भेजने की सुविधा देने वाले ऐप के नियमन को लेकर रूपरेखा तैयार करने के लिए विचार मांगे हैं. एक सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.
नई तकनीक के परिप्रेक्ष्य में मांगे सुझाव
दूरसंचार विभाग ने पिछले हफ्ते 2008 में जारी इंटरनेट के जरिये टेलीफोन करने की सुविधा पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की एक सिफारिश को समीक्षा के लिए वापस भेज दिया और नियामक से नई प्रौद्योगिकी आने के साथ तकनीकी परिवेश में जो बदलाव आया है, उसके परिप्रेक्ष्य में एक व्यापक सुझाव देने को कहा है.
'सरकार को ट्राई की सिफारिश स्वीकार्य नहीं'
एक अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘दूरसंचार विभाग को ‘इंटरनेट टेलीफोनी’ के बारे में ट्राई की सिफारिश स्वीकार्य नहीं है. विभाग ने अब इंटरनेट के जरिये फोन और ‘ओवर-द-टॉप’ कंपनियों को लेकर एक व्यापक सुझाव देने को कहा है.’
दूरसंचार कंपनियां कर रही समान नियम की मांग
दूरसंचार कंपनियां सरकार से समान सेवा, समान नियम के सिद्धांत को लागू करने की मांग कर रही हैं. उनका कहना है कि कि इंटरनेट कॉल की सुविधा देने वाले और मैसेजिंग ऐप को वही लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना चाहिए, जो दूरसंचार कंपनियों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर लागू हैं.
साथ ही समान रूप से नियमों, सेवा की गुणवत्ता आदि के विनियमन का पालन करना चाहिए. ट्राई ने 2008 में सिफारिश की थी कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर कॉल सहित ‘इंटरनेट टेलीफोनी’ प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन उन्हें ‘इंटरकनेक्शन’ शुल्क का भुगतान करना होगा, सुरक्षा एजेंसियों आदि की आवश्यकता के अनुसार कॉल का पता लगाने को लेकर वैध उपकरण स्थापित करने होंगे.
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