Sebi notice to Hindenburg Research: संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोमवार को दावा किया कि उसे एक 'कारण बताओ' नोटिस मिला है. दरअसल, पिछले साल हिंडनबर्ग की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ उसके शॉर्ट बेट पर संदिग्ध उल्लंघनों को रेखांकित किया गया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने 2023 में एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर टैक्स हेवन के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था और ऋण स्तरों के बारे में चिंता व्यक्त की थी. अब हिंडनबर्ग ने सेबी के नोटिस को 'भारत में सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास' करार दिया.
पाठकों को गुमराह करना मकसद नहीं!
हिंडनबर्ग ने कहा कि 1.5 साल की जांच के बाद, सेबी ने हमारे अडानी रिसर्च में शून्य तथ्यात्मक अशुद्धियां पाईं. हालांकि, बाजार नियामक ने अस्पष्ट आरोप लगाए हैं कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में गलत बयान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य पाठकों को गुमराह करना है.
फर्म ने कहा, 'हमारे विचार में, सेबी ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह धोखाधड़ी करने वालों को बचाने के बजाय, इसके शिकार निवेशकों को बचाने में अधिक लगा हुआ है.'
अडानी-हिंडेनबर्ग विवाद
पिछले साल जनवरी में अपनी रिपोर्ट में हिंडेनबर्ग ने टैक्स हेवन के अनुचित इस्तेमाल का आरोप लगाया था और कर्ज के स्तर को लेकर चिंता जताई थी. इस रिपोर्ट के कारण अडानी समूह के घरेलू स्तर पर सूचीबद्ध शेयरों में 86 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी और विदेशों में सूचीबद्ध इसके बॉन्ड में बिकवाली हुई थी.
9 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अडानी के खिलाफ रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की निगरानी में एक पैनल गठित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी.
हालांकि, इस साल 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह की जांच के लिए एसआईटी गठित करने से इनकार कर दिया और कहा कि बाजार नियामक सेबी जांच जारी रखेगा.
अदालत ने कहा कि सेबी विनियमन करने में विफल नहीं हुआ है और बाजार नियामक से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह प्रेस रिपोर्टों के आधार पर अपने कार्यों को जारी रखेगा, हालांकि ऐसी रिपोर्टें सेबी के लिए इनपुट के रूप में काम कर सकती हैं.
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