नई दिल्ली: What Razakars Means: 'तुई के, अमी के, रजाकार, रजाकार', छात्रों ने इसी नारे के साथ बांग्लादेश की सरकार की चूलें हिला दीं. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया है. शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वे फिलहाल भारत हैं, जैसे ही UK सरकार से मंजूरी मिलेगी, वे लंदन चली जाएंगी. शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा है कि अब उनकी मां राजनीति में वापसी नहीं करेंगी. 15 साल के शासन के बाद शेख हसीना के खिलाफ हुए उग्र प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह एक शब्द है 'रजाकार'.
जब हसीना ने कही ऐसी बात, जिससे नाराज हो गए छात्र
दरअसल, छात्रों का ये आंदोलन 'वॉर हीरोज' के परिजनों को मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ था. तब उनका मकसद शेख हसीना को हटाना नहीं था, लेकिन 14 जुलाई को शेख हसीना मीडिया से रूबरू हुईं. यहां उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को (कोटा) लाभ नहीं मिलेगा, तो किसे मिलेगा? रजाकारों के पोते-पोतियों को? शेख हसीना के इस बयान से छात्र नाराज हुए. उन्होंने पलटवार करते हुए 'तुई के, अमी के, रजाकार, रजाकार' के नारे लगाने शुरू कर दिए. ये नारा बांग्लादेश की सड़कों, स्कूलों और कॉलेजों में गूंजने लगा था. नौबत ये आ गई कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण का फैसला तो वापस ले लिया, लेकिन आंदोलन हसीना को सत्ता से बेदखल करने की ओर मुड़ गया.
कौन थे रजाकार?
जब बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ, तब पाकिस्तानी सेना ने एक क्रूर अर्धसैनिक बल बनाया था. इसका नाम 'रजाकार' रखा गया था. इन्होंने बांग्लादेश की मुक्ति के लिए लड़ने वाले लोगों और बांग्लादेश की आवाम पर खूब अत्याचार किए. तब से ही ये शब्द बांग्लादेश में गाली बन चुका है. इस शब्द का इस्तेमाल देशद्रोहियों और अत्याचारियों के लिए किया जाता है. बता दें कि 1971 में पाकिस्तान ने तीन मिलिशिया बनाए. ये रजाकार, अल-बद्र और अल-शम्स थे. इन्होंने बंगाली आबादी के साथ जघन्य वारदातें की थीं. जैसे- हत्या, रेप और प्रताड़ना.
छात्र बोले- तानाशाह से बेहतर रजाकार
जब हसीना सरकार के खिलाफ रोष बढ़ा तब छात्रों ने कहा कि हम हसीना जैसी 'तानाशाह' शासक की के बजाय ‘रजाकारों' को अधिक पसंद करेंगे. उनका आरोप था कि शेख हसीना बीते 15 साल से शासन करते हुए तानाशाह बन गईं. छात्र बोले- उन्होंने आरक्षण विरोधी आंदोलन को खत्म करने के लिए कई उपाय किए, जो उनकी तानाशाही को दिखाते हैं.
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