FATF की ग्रे सूची से बचने के लिए पाकिस्तान ने चली ये चाल, जानें क्या होगा असर

 विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने नेशनल असेंबली में विधेयक पेश किया और इसे महत्वपूर्ण कानून बताया जो एफएटीएफ से संबंधित सभी संस्थानों को एक प्राधिकरण के तहत लाएगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 4, 2023, 07:58 PM IST
  • पाकिस्तान पर भी मंडरा रहा खतरा
  • जानिए क्या होती एफएटीएफ ग्रे लिस्ट
FATF की ग्रे सूची से बचने के लिए पाकिस्तान ने चली ये चाल, जानें क्या होगा असर

नई दिल्लीः फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से हमेशा के लिए बचने के लिए पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने "नेशनल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एंड काउंटर फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म अथॉरिटी एक्ट, 2023" नामक एक विधेयक पारित किया है. विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने नेशनल असेंबली में विधेयक पेश किया और इसे महत्वपूर्ण कानून बताया जो एफएटीएफ से संबंधित सभी संस्थानों को एक प्राधिकरण के तहत लाएगा.

जानिए क्या है ये विधेयक
खार ने कहा, "प्रस्तावित प्राधिकरण एक फोकल संस्थान के रूप में कार्य करेगा और राज्य को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को रोकने के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया देने में मदद करेगा." खार ने कहा, "यह एक अच्छा विधेयक है और अगर इसे लागू किया जाता है और ठीक से लागू किया जाता है, तो पाकिस्तान कभी भी एफएटीएफ ग्रे सूची में नहीं दिखेगा. प्रस्तावित कानून विभिन्न संस्थाओं को संस्थागत बना देगा और पाकिस्तान को बहुत फायदा पहुंचाएगा."

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान पर मंडरा रहा खतरा 
खार ने याद दिलाया कि पाकिस्तान को तीन अलग-अलग क्षेत्रों से निपटने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप देश को एफएटीएफ ग्रे सूची में डाल दिया गया. उन्होंने कहा कि नया पारित कानून आगे चलकर उन्हें प्रभावी ढंग से संबोधित करेगा.

उन्होंने कहा, एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाले जाने पर पाकिस्तान को तीन अलग-अलग क्षेत्रों... एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल), आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी) और लक्षित वित्तीय प्रतिबंध (टीएफएल) में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

एक नए प्राधिकरण के गठन का वास्तविक अर्थ यह है कि सरकार राजधानी इस्लामाबाद में एक केंद्रीकृत प्राधिकरण बना रही है, जिसका काम मुख्य रूप से एएमएल, सीएफटी और टीएफएल पर अंकुश लगाना है. वर्तमान में, मनी लॉन्ड्रिंग (एमएल), आतंक वित्तपोषण (टीएफ) और लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम 2010, आतंकवाद-रोधी अधिनियम 1997 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अधिनियम 1948 के माध्यम से विभिन्न कानूनों के तहत लागू किया जा रहा है.

नए कानून के विवरण के अनुसार, प्राधिकरण का नेतृत्व अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा. साथ ही स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर के वित्त, विदेशी मामलों और आंतरिक प्रभाग के सचिव भी इसके सदस्‍य होंगे.

इसमें पाकिस्तान के प्रतिभूति और विनिमय आयोग, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) और संघीय राजस्व बोर्ड (एफबीआर) के अध्यक्ष; मादक द्रव्य विरोधी बल और वित्तीय निगरानी इकाई के महानिदेशक; मुख्य सचिव और प्रधानमंत्री द्वारा अनुशंसित कोई अन्य सदस्य भी शामिल होंगे.

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