नई दिल्लीः युद्ध में तरह-तरह की रणनीतियों और हथियारों का इस्तेमाल होता है लेकिन कई हथियार इतने घातक होते हैं कि इन्हें मानवता के खिलाफ माना जाता है. यही वजह है कि इनके युद्ध में इस्तेमाल पर रोक भी लगाई गई है. इसी तरह रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल पर भी रोक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि युद्ध में इसका इस्तेमाल कब हुआ था और किसने किया था?
रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का इतिहास पुराना है. अगर आधुनिक युद्ध में इनके संगठित तौर पर इस्तेमाल की बात की जाए तो इसका प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान शुरू हुआ था.
जर्मनी ने किया था इस्तेमाल
माना जाता है कि रासायनिक हथियारों का पहला बड़ा और संगठित हमला 22 अप्रैल 1915 को जर्मनी ने Ypres की लड़ाई में किया था. जर्मन सेना ने बेल्जियम के इस क्षेत्र में क्लोरीन गैस छोड़ी थी. इस वजह से हजारों सैनिक बुरी तरह प्रभावित हुए थे. यह इतिहास में दर्ज पहला बड़ा रासायनिक हमला था. इसके बाद ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य देशों ने भी युद्ध में केमिकल वेपन का इस्तेमाल किया था. तब सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली जहरीली गैसें क्लोरीन, फॉस्जीन और मस्टर्ड थीं.
कितना खतरनाक था ये हमला
जहां क्लोरीन गैस का हमला सांस लेने पर फेफड़ों को जला देता थी तो वहीं फॉस्जीन गैस धीमे-धीमे असर करती थी, लेकिन यह ज्यादा खतरनाक थी. इसी तरह मस्टर्ड गैस त्वचा पर छाले बना देती थी और सैनिकों को अक्षम कर देती थी.
हालांकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान केमिकल वेपन का इस्तेमाल सीमित तौर पर किया गया, लेकिन कहा जाता है कि नाजी जर्मनी ने लाखों लोगों को मारने के लिए ज़ाइक्लोन-बी गैस का इस्तेमाल किया था. वहीं 1950 से 1953 तक चले कोरियाई युद्ध और 1955 से 1975 के बीच चले वियतनाम युद्ध में अमेरिका ने नापाम और एजेंट ऑरेंज जैसे रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया था.
कई देशों ने लगाया बैन
केमिकल वेपन के इस्तेमाल पर कई तरह की बहसें हुईं. वहीं 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने केमिकल वेपन्स कन्वेंशन (CWC) बनाया, जिससे अधिकतर देशों ने इन पर प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन कुछ देशों में अब भी इनका इस्तेमाल देखने को मिलता है. दावा किया जाता है कि सीरिया में 2010 के बाद इसका इस्तेमाल किया गया था. कमोबेश रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत प्रतिबंधित है.
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