Himachal Pradesh News: इस मानसून सीजन में हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह काफी नुकसान हुआ है. प्रदेश में बारिश के बाद जगह-जगह बाढ़ और लैंडस्लाइड से प्रदेश की हालात काफी खराब है, जिसे लेकर बिलासपुर में एक बैठक आयोजित की गई.
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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: मानसून की भारी बारिश के चलते बिलासपुर जिला में आई आपदा से अब तक सरकारी व निजी क्षेत्र में 120 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान आंका गया है, जिसके मद्देनजर बाढ़ प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द आर्थिक मदद देने का जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. वहीं, बिलासपुर में प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए उपायुक्त कार्यालय परिसर स्थित बचत भवन में जिला स्तरीय सहायता एवं पुनर्वास समिति की बैठक का आयोजन किया गया.
बता दें, इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल्य ने की. बैठक में उपायुक्त बिलासपुर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे, लेकिन बिलासपुर जिला की चारो विधानसभा में से किसी भी विधानसभा का कोई भी विधायक इस बैठक में शामिल नहीं हुआ, जिनकी जगह पर बिलासपुर से पूर्व विधायक बंबर ठाकुर व बाबूराम गौतम मौजूद रहे.
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बता दें, बिलासपुर से त्रिलोक जम्वाल, नैनादेवी से रणधीर शर्मा व झंडूता से जीतराम कौंडल भाजपा के विधायक हैं, जबकि घुमारवीं से राजेश धर्माणी कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं. ऐसे में आपदा से हुए नुकसान व आर्थिक मदद को लेकर आयोजित जिला स्तरीय बैठक में कोई भी वर्तमान विधायक मौजूद नहीं रहा.
वहीं, बैठक में हुई चर्चा के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल्य ने कहा कि बिलासपुर जिला में आपदा के चलते जानी नुकसान भले ही कम हुआ है, लेकिन सरकारी व निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है. बिलासपुर जिला में विभाग द्वारा करीब 120 करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन किया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा किसानों व बागवानों की फसलों की पैदावार को नुकसान पहुंचा है. इसके साथ ही धनीराम शांडिल्य ने कहा कि पिछले 70 वर्षों की तुलना में इस बार आपदा का कहर सबसे ज्यादा बरपा है. इस बार सबसे ज्यादा नुकसान हिमाचल प्रदेश में हुआ है, जिसके चलते लोगों को राहत देने का काम लगातार जारी है.
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वहीं मंत्री धनीराम शांडिल्य ने कहा कि आपदा के दौरान विभिन्न विभागों को मिलने वाले फंड से अधिकारी असंतुष्ट नजर आ रहे हैं, जिसे देखते हुए आने वाले समय में अतिरिक्त फंड की व्यवस्था करने के सरकार द्वारा प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत सबसे बड़ी समस्या मजदूरों की पर्याप्त संख्या को लेकर है, जिसके लिए अन्य राज्यों से भी मजदूरों को लेकर प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास का काम किया जाएगा.
वहीं कर्नल धनीराम शांडिल्य ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आपदा की स्थिति के साथ भविष्य में युद्ध जैसी संभावनाओं के बीच पानी की समस्या को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती है, जिसे देखते हुए आने वाले समय में पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर सरकार ज्यादा ध्यान देगी, जिसके तहत बोरबैल व बावड़ी व्यवस्था पर ध्यान दिया जाएगा ताकि ऐसे संकट के समय में लोगों को पानी की कमी से ना जूझना पड़े.
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