Bilaspur News: हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में मछली के शिकार पर लगा प्रतिबंध हट गया है. पहले ही दिन 31.86 मिट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ. दो माह के प्रतिबंध के दौरान अवैध शिकार के 421 मामले सामने आए.
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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के मछली शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. हिमाचल प्रदेश के जलाश्यों में मछली के शिकार पर लगा प्रतिबंध हट गया है, जिसके बाद अब प्रदेश में आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों को कतला, महाशेरा व ट्राउट नस्ल की मछली खाने के लिए उपलब्ध होगी. 15 जून से 15 अगस्त तक हिमाचल प्रदेश के जलाशयों, नदी नालों और इनकी सहायक नदियों में मछली के शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया था ताकि इस दौरान मछली प्रजनन व मछलियों का बीज पनप सके, वहीं दो माह का प्रतिबंध हटने के बाद प्रदेश के करीब 10 हजार से अधिक मछुआरे एक बार फिर मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं.
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के पांच प्रमुख जलाशयों में गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर शामिल है, जिनका क्षेत्रफल 43,785 हैक्टेयर के करीब है और 6 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा प्रदेश के सामान्य जलों वाली नदियां जिनकी लंबाई 2,400 किमी के लगभग है. छह हजार से अधिक मछुआरे फेंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं. इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे और लोगों को प्रोटीनयुक्त आहार मछली के रूप में मिलता रहे, इसका दायित्व हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग का है.
वहीं दो माह के बंद सीजन के दौरान जलाशयों में अवैध मत्स्य आखेट के कुल 421 मामले पकडे गए, जिनसे मत्स्य विभाग ने जुर्माने के रूप में 3 लाख 17 हजार रुपये वसूले हैं. वहीं दो माह के बंद सीजन के बाद 16 अगस्त को पहले ही दिन प्रदेश के जलाशयों से 31.86 मिट्रिक टन का मत्स्य उत्पादन हुआ है, जिसमें मुख्य रूप से गोबिंदसागर जलाशय से 15 मिट्रिक टन, कोलडैम से 0.6 मिट्रिक टन, पौंग जलाश्य से 16.40 मिट्रिक टन तथा चमेरा और रणजीत सागर से 0.18 मिट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है. वहीं गोबिंद सागर जलाशय से सर्वाधिक सिलवर व मिरर कार्प प्रजाति की मछलियां, पौंग जलाशय से सिंघाड़ा व रोहू प्रजाति की मछलियां, कोल डैम जलाशय से मिरर कार्प, चमेरा व रणजीत सागर से सिलवर कार्प मछली पकड़ी गई हैं.
मात्स्यिकी निदेशालय हिमाचल प्रदेश के निदेशक विवेक चंदेल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार गोबिंद सागर जलाशय से जगातखाना अवतरण केंद्र की दाड़ी-बाड़ी मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे सुभाष चंद द्वारा 33.5 किलो सर्वाधिक भार की कतला मछली पकड़ी गई, जबकि पौंग जलाशय से नगरोटा सुरियां अवतरण केंद्र के सुरजन सिंह द्वारा 25.3 किलो भार की कतला मछली पकड़ी गई हैं. वहीं अगस्त 2023 के मुकाबले अगस्त 2024 में गोबिंद सागर जलाशय में लगभग दोगुना मत्स्य उत्पादन हुआ है.
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आईसीएआर सीफरी कोलकाता द्वारा दी गई सिफारिशों के अनुरूप गोबिंद सागर जलाशय के वैज्ञानिक अध्ययन के बाद केवल 100 एमएम से अधिक के आकार का मत्स्य बीज संग्रहित किया गया, जिसके फलस्वरूप मत्स्य उत्पादन में वृद्धि देखी गई. साथ ही उन्होंने कहा कि दो माह के प्रतिबंध के दौरान प्रदेश के मछुआरों को सरकार की ओर से 4,500 रुपये प्रति मछुआरा सहायता राशि दी गई है. वहीं विवेक चंदेल ने कहा कि दो माह के प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य मछली उत्पादन को बढ़ाना है ताकि इस क्षेत्र से जुड़े मछुआरों, कांट्रेक्टरों व स्टेक होल्डर्स की आमदनी बढ़ सके और उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके.
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