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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल के बिलासपुर स्थित शक्तिपीठ श्री नैनादेवी की पहाड़ियों के बीच में बसा बहुत ही रमणीक व सौंदर्य से भरपूर काला जौहर नामक एक धार्मिक स्थल है जिसका अपना अलग ही महत्व है. प्राचीन मान्यता के अनुसार यहां स्नान करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है. वहीं, हर साल की तरह इस बार भी काला जोहड़ में आज वार्षिक झंडा चढ़ाने की रस्म अदा की गई.
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सेवादार बाबा अमरनाथ के नेतृत्व में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने झंडा चढ़ाने की रस्म में भाग लिया और काला जौहर में स्नान करके अपना जीवन धन्य किया. काला जौहर जिसे चक्षु कुंड भी कहा जाता है. बता दें, शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर के समीप एक पवित्र स्थान है. मान्यता है कि महिषासुर के मुख्य सेनापति चिक्षुर की खोपड़ी इसी स्थान पर गिरी थी.
यह एक पवित्र स्थान है जहां लोग त्वचा की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए स्नान करते हैं. इसके साथ ही एक पौराणिक कथा के अनुसार इस प्राचीन कुंड में स्नान करने से विवाहित स्त्रियों को संतान की प्राप्ति होती है और महिलाएं बांझपन के दोष से मुक्त हो जाती हैं और उनके जीवन में खुशियां दस्तक दे देती है.
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गौरतलब है कि शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर यह धार्मिक स्थल विद्यमान है. वहीं पहाड़ियों के बीच में बसा हुआ यह बहुत ही रमणीक और शांतिप्रिय धार्मिक स्थल है. इस मंदिर का रख-रखाव बाबा अमरनाथ के द्वारा किया जाता है, जिसमें श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का भी आयोजन भी किया जाता है और यहां पर बड़ी धूमधाम से आज वार्षिक झंडा रस्म अदा की गई.
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