Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में बेमौसम हुई बारिश से किसानों की गेहूं की फसल खराब हो गई है, जिसके बाद किसानों से सरकार से मुआवजे की मांग की है. किसानों का कहना है कि उन्हें भी बागवानों की तरह नुकसान का मुआवजा देना चाहिए.
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नंदलाल/नालागढ़: हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में एक बार फिर दो दिन से लगातार हो रही बारिश किसानों पर कहर बनकर बरसी है. औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ के तहत पड़ने वाले चंगर, बद्दी बरोटीवाला में किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल तेज बारिश, तूफान और ओलावृष्टि के कारण तबाह हो चुकी है.
बता दें, यहां दो दिन से लगातार तेज बारिश हो रही है. इस तेज बारिश के कारण गेहूं की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. तेज तूफान के कारण फसलें जमीन पर बिछ चुकी हैं. किसानों की करीबन 60 से 70 फीसदी फसल तबाह हो चुकी है. अब किसानों पर आर्थिक संकट का खतरा मंडराने लगा है. उन्हें अपने परिवार के पालन पोषण की भी चिंता होने लगी है, क्योंकि बच्चों की तरह पाली हुई फसल अब खत्म होने की कगार पर आ चुकी है. ऐसे में किसान काफी परेशान हैं.
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पीड़ित किसानों ने प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार द्वारा जिस तरह सेबों के नुकसान का मुआवजा दिया जाता है उसी तरह गेहूं की फसलों के नुकसान का उचित मुआवजा देने की गुहार लगाई है ताकि वह फसलों के नुकसान की तो भरपाई नहीं हो पाएगी, लेकिन पीड़ित किसान अपने परिवार का इस महंगाई के दौर में पालन पोषण ही कर सकें. अब देखना यह होगा कि कब सरकार और प्रशासन व संबंधित एग्रीकल्चर विभाग किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई करता है और कब किसानों को आ रही परेशानियों से निजात मिलती है.
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इस बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए स्थानीय किसानों ने कहा कि लंबे समय से किसान बारिश की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जब बारिश की जरूरत थी तब बारिश नहीं, लेकिन अब वे मौसमी बारिश, तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण 60 से 70 फीसदी गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है. तेज हवाओं के कारण किसानों के खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बिछ चुकी है, जिससे किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. पीड़ित किसानों का कहना है कि इस महंगाई के दौर में अब उन्हें अपने परिवार के पालन-पोषण की चिंता सताने लगी है. उन्होंने प्रदेश सरकार से उचित मुआवजे की मांग उठाई है.
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