Manmohan Singh: मनमोहन सिंह, जिन्होंने अपने प्रारंभिक राजनीतिक दिनों में वित्त मंत्रालय संभाला था, ने 1990 के दशक में आर्थिक सुधारों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
Trending Photos
Manmohan Singh Death: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे अपने पीछे राजनीतिक और आर्थिक उपलब्धियों की विरासत छोड़ गए. मनमोहन सिंह, जिन्होंने अपने प्रारंभिक राजनीतिक दिनों में वित्त विभाग भी संभाला था, ने 1990 के दशक में आर्थिक सुधारों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
विश्व भर में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 के आर्थिक संकट के चरम पर राजनीति में प्रवेश किया, जब दिवंगत प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री के रूप में सरकार में शामिल किया.
दोनों नेताओं ने मिलकर अर्थव्यवस्था को भुगतान संतुलन के संकट से बाहर निकाला और आर्थिक सुधारों की नींव रखी, जिन्हें उसके बाद से प्रत्येक सरकार ने बरकरार रखा है.
ये भी पढ़े-: Himachal Pradesh: पूर्व PM डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर प्रदेश में 2 दिन की छुट्टी का ऐलान
एक उत्कृष्ट विद्वान: मनमोहन सिंह की शैक्षणिक उपलब्धियां
-डॉ. मनमोहन सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी मैट्रिक परीक्षा पूरी की. उनका शैक्षणिक जीवन उन्हें पंजाब से ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ले गया, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की.
-इसके बाद डॉ. सिंह ने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल. की डिग्री प्राप्त की.
-उनकी पुस्तक, "भारत के निर्यात रुझान और आत्मनिर्भर विकास की संभावनाएं" [क्लेरेंडन प्रेस, ऑक्सफोर्ड, 1964] भारत की आवक-उन्मुख व्यापार नीति की प्रारंभिक आलोचना थी.
-मनमोहन सिंह की शैक्षणिक साख पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में संकाय में बिताए गए वर्षों से चमकीली हुई थी.
-इन वर्षों के दौरान भारतीय नेता ने यूएनसीटीएडी सचिवालय में भी कुछ समय तक काम किया. इसके बाद 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में उनकी नियुक्ति हुई.
मनमोहन सिंह की राजनीतिक उपलब्धियां
-राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले और रिजर्व बैंक गवर्नर तथा दक्षिण आयोग के महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय तक कार्य करने वाले टेक्नोक्रेट डॉ. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी के लिए एक सटीक विकल्प थे, जब उन्होंने विपक्ष के विरोध के बाद प्रधानमंत्री का पद त्यागने का फैसला किया.
-डॉ. मनमोहन सिंह ने एनडीए सरकार से ऐसे समय में सत्ता संभाली थी जब भारत 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद सांप्रदायिक असंतुलन के माहौल से जूझ रहा था, ऐसा माना जाता है कि सिंह के प्रशासन ने स्थिति में संतुलन की भावना लाई.
-मनमोहन सिंह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता था, जिसने असैन्य परमाणु सहयोग के द्वार खोले और इसे भारत के विदेशी संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा गया.
-उनकी सरकार के तहत ही भारत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) सहित कई सामाजिक योजनाएं शुरू कीं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिले.
डॉ. मनमोहन सिंह की आर्थिक उपलब्धियां
डॉ. सिंह की सरकार ने अपने कार्यकाल के अधिकांश समय में 8.5 प्रतिशत की मजबूत GDP वृद्धि दर हासिल की, लेकिन 2जी, कॉमनवेल्थ गेम्स और कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले तथा इसके परिणामस्वरूप सरकार की नीतिगत निष्क्रियता ने उनके प्रदर्शन को बाधित कर दिया.
वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने 1991 में भारत के आर्थिक उदारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिसमें रुपये का अवमूल्यन, आयात शुल्क में कमी और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का निजीकरण शामिल था.
उल्लेखनीय है कि यद्यपि सिंह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं थे, फिर भी उक्त कर सुधारों की आधारशिला उनकी सरकार के कार्यकाल में रखी गई थी.