हर साल 15 जनवरी को भारत सेना दिवस मनाता है, ताकि देश के लिए सशस्त्र बलों और उनके अपार बलिदानों का सम्मान किया जा सके. इस साल, यह समारोह महाराष्ट्र के पुणे में मनाया जाएगा, जो तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया जा रहा है. इससे पहले, यह कार्यक्रम पारंपरिक रूप से दिल्ली छावनी में मनाया जाता था, जब तक कि केंद्र ने देश भर में इसके आयोजन स्थल को बदलने का फैसला नहीं किया.
भारतीय सेना की स्थापना मूलतः ब्रिटिश सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 1895 को की गई थी, तथा 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद इसमें ऐतिहासिक परिवर्तन आया. 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करिअप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ बने, उन्होंने अंतिम ब्रिटिश चीफ जनरल एफआरआर बुचर का स्थान लिया. उस ऐतिहासिक दिन के बाद से, देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा में भारतीय सैनिकों की बहादुरी, बलिदान और अमूल्य योगदान को सम्मानित करने के लिए 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है.
इस वर्ष सेना दिवस समारोह 'समर्थ भारत, सक्षम सेना' पर केंद्रित रहेगा, जिसमें एक मजबूत राष्ट्र के लिए सेना की क्षमताओं पर जोर दिया जाएगा।
इस अवसर पर एक प्रमुख आकर्षण प्रतिष्ठित सेना दिवस परेड है, जो 15 जनवरी 2025 को पहली बार पुणे में आयोजित की गई. यह परेड महज एक औपचारिक अवसर नहीं है, बल्कि इसे सैन्य बलों के साहस, समर्पण और तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित करने वाला राष्ट्रीय उत्सव भी माना जाता है. अन्य प्रमुख आकर्षणों में ड्रोन और रोबोटिक्स जैसी अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, उसके बाद युद्ध प्रदर्शन और मार्शल आर्ट का प्रदर्शन शामिल है.
"अगर कोई आदमी कहता है कि उसे मरने से डर लगता है, तो या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर गोरखा है" - फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ "ये दिल मांगे मोर" - कैप्टन विक्रम बकरा (कारगिल युद्ध) "केवल सबसे अच्छे मित्र और सबसे बुरे दुश्मन ही हमसे मिलने आते हैं" - भारतीय सेना (लद्दाख) "एक सबके लिए और सब एक के लिए" - भारतीय सेना।
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