हमारे सेल फ़ोन पर आया मैसेज फेक है या नहीं ये जानना आज के टाइम में बहुत जरुरी हो गया है क्योंकि कई बार स्पैम SMS पर क्लिक करने के कारण हमारे फ़ोन से या तो पैसे उड़ जाते है या निजी जानकारी लीक होने का खतरा रहता है. अब इस जाल को समझने के लिए आपको SMS के अल्फाबेट पढ़ने पड़ेंगे. जी हां, बस इस ABCD को पढ़कर ही आप स्पैम मैसेज का पता लगा सकतें है. चलिए शुरू करते हैं-
मैसेज असली है या नकली इसको जाने के लिए आपको कोई लिंक पर क्लिक करने की जरूरत नहीं है. बस आपके फ़ोन में इंस्टाल SMS ऐप पर आने वाले मैसेज को क्लिक करने से पहले थोड़ी देर रूककर सोच विचार करने की जरूरत है. पहली बात अगर कोई मैसेज कोई टेलिकॉम कंपनी, ई-कॉमर्स कंपनी या बैंक से आया है तो कोई परेशानी नहीं है क्योंकि उसके ऊपर ही उसका नाम लिखा होता है जैसे VM-ICICI BANK, AIRTEL, VI CARE आदि. परेशानी तब होती है जब किसी मैसेज के आगे BZ, JM, VM लिखा हो और हमे पता नहीं लगता कि मैसेज स्पैम वाला है या असली और हम गलती कर बैठते है. उसके बाद क्या नुकसान होता है उसको बताने की जरूरत नहीं क्योंकि आप खुद समझदार हैं.
कोई कंपनी या संस्थान की तरफ से आने वाला मैसेज 8 डिजिट का होता है. ये दो भागों में बंटा होता है. पहला हिस्सा 2 डिजिट का और दूसरा हिस्सा 6 डिजिट का होता है. पहले हिस्से को Prefix कहा जाता है और दूसरे हिस्से को Header कहा जाता है. ये फिक्स होतें है इनमे कोई बदलाव नहीं कर सकता. अब जो Prefix है उसका पहला अक्षर टेलिकॉम सर्विस कंपनी का होता है. बोले तो A का मतलब है एयरटेल, J का मतलब है जियो, V का मतलब वोडाफोन और B का मतलब BSNL. ऐसे प्रीफिक्स टोटल 11 ही बने हुए हैं अगर इनके अलावा कोई आता है तो समझ लेना दाल में कुछ काला है. अब ऐसा नहीं कि इन कोड से आये मैसेज से कभी फ्रॉड नहीं होता. नजर हटी दुर्घटना घटी.
अब बढ़ते है Prefix के दूसरे अक्षर पर. ये अल्फाबेट टेलिकॉम सर्किल की जानकारी देता है. जैसे M का मतलब मुंबई और Z मतलब Maharashtra. जैसे की JM मतलब होगा Jio Mumbai. यहां आपको ये भी ध्यान देने की जरूरत है की ये कोड TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) ने खुद फिक्स किए हैं, इसलिए कुछ भी गड़बड़ या अलग दिखे तो सावधान हो जाएं.
यह 6 अंकों का कोड होता है. ये होता है कंपनी का नाम. जैसे की 100026 डिजिट यूनियन बैंक को मिला है और 111000 कोटक महिंद्रा बैंक को मिला है. ऐसे आप पता लगा सकतें है की मैसेज किस कंपनी और किस टेलीकॉम सर्किल से आया है.
कई बार असली लगने वाले मैसेज भी फ्रॉड हो सकते है जो पैसों या जॉब का लालच देते हैं या कंपनी की तरफ से आपकी बैंक डिटेल्स मांगते है. इसलिए जरूरी है की कोई भी लिंक पर क्लिक करने से पहले थोड़ा रुकें, विचार करें, दिमाग के घोड़े दौड़ाएं और फिर ही निर्णय करें की इसे ओपन करना है या नहीं.
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