उरी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों पर लगाए गए बैन को आगे बढ़ाने की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि कला की कोई सरहद नहीं. उरी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों पर लगाए गए बैन को आगे बढ़ाने की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि कला की कोई सरहद नहीं.
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पिछले 7 सालों से भारत में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर बैन लगा हुआ था. दरअसल, 2016 में हुए 'उरी' हमले के बाद ये बैन लगा दिया गया था, जिसके बाद आतिफ असलम, फवाद खान, माहिरा खान, अली जफर, जावेद शेख और राहत फतेह अली खान जैसे कई बड़े पाकिस्तानी कलाकारों पर असर पड़ा था. इसी बैन को आगे बढ़ाने को लेकर डाली गई एक याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.
याचिका को खारिज करते हुए जज ने कही बड़ी बात
जस्टिस सुनील बी शुक्रे और फिरदौस पूनीवाला ने मामले की अध्यक्षता करते हुए कहा, "इस तरह के बैन के चलते सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा नहीं मिलता है." याचिका को अयोग्य करार देते हुए कोर्ट ने कहा, "एक व्यक्ति जो दिल से अच्छा है वह अपने देश में ऐसी किसी भी गतिविधि का स्वागत नहीं करेगा, जो देश के भीतर और सीमा पार शांति, सद्भाव के खिलाफ है. कला, संगीत, खेल, संस्कृति आदि ऐसी चीज़े हैं, जो राष्ट्रीयताओं से ऊपर उठती हैं. कला दो देशों के बीच शांति, एकता और प्यार लेकर आती हैं."
"देशभक्त होने का ये मतलब नहीं की दूसरे देश से नफरत करें"
कोर्ट ने कहा कि हमें ये समझना चाहिए की किसी को दूसरे मुल्क ख़ासकर पड़ोसी मुल्क के लोगों के प्रति दुश्मनी की सोच रखना जरूरी नहीं है. सच्चा देशभक्त वह है जो बिना किसी मतलब के अपने देश के लिए समर्पित है".
फैज अनवर कुरैशी ने दायर की थी याचिका
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर बैन लगाने वाली याचिका सिने वर्कर फैज अनवर कुरैशी ने दायर की थी, लेकिन बाद में इसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने अयोग्य करार दे दिया. फैज की मांग थी कि भारत सरकार पाकिस्तान के संगीतकार, एक्टर्स, सिंगर्स, गीतकार और टेक्नीशियंस पर बैन लगाए और उनके साथ कोई संबंध न रखे.