न्यूयॉर्क: मुस्लिम महिला को हिजाब उतारने के लिए पुलिस ने किया था मजबूर, अब 7 साल बाद कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
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न्यूयॉर्क: मुस्लिम महिला को हिजाब उतारने के लिए पुलिस ने किया था मजबूर, अब 7 साल बाद कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

New York Mug Shots Case:  क्लास-एक्शन मुकदमा 2018 में दो मुस्लिम महिलाओं जमीला क्लार्क और अरवा अजीज के द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने कहा था कि जब उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके हिजाब हटाने के लिए मजबूर किया गया तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई.

न्यूयॉर्क: मुस्लिम महिला को हिजाब उतारने के लिए पुलिस ने किया था मजबूर, अब 7 साल बाद कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

New York Mug Shots Case: न्यूयॉर्क शहर में दो मुस्लिम महिलाओं को साल 2017 में वहां की पुलिस ने गिरफ्तार किया था.  जिसके बाद पुलिस ने दोनों महिलाओं को सिर खोलकर यानी बिना नकाब के फोटो खिंचवाने के लिए मजबूर किया. हालांकि इसके बाद दोनों महिलाओं ने साल 2018 में क्लास-एक्शन मुकदमा दर्ज कराया. आखिरकार कोर्ट ने 6 साल बाद आज दोनों पीड़िता के हक में फैसला सुनाया है. दायर मुकदमे को निपटाने के लिए 17.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के भुगतान करने पर सहमती बनी है.

क्लास-एक्शन मुकदमा 2018 में दो मुस्लिम महिलाओं जमीला क्लार्क और अरवा अजीज के द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने कहा था कि जब उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके हिजाब हटाने के लिए मजबूर किया गया तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई.

पीड़िता ने कहा
क्लार्क ने एक बयान में कहा, "जब उन्होंने मुझे अपना हिजाब उतारने के लिए मजबूर किया, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं नग्न हूं. मुझे यकीन नहीं है कि शब्द यह बता पाएंगे कि मैंने कितना अपमानित महसूस किया. उन्होंने आगे कहा, "मुझे आज बहुत गर्व है कि मैंने हजारों न्यूयॉर्क वासियों को न्याय दिलाने में भूमिका निभाई है."

बता दें कि जमीला क्लार्क को 9 जनवरी साल 2017 को गिरफ्तार किया गया था और अरवा अजीज को 30 अगस्त, 2017 को पुलिस ने अरेस्ट किया था. पुलिस ने अरवा अजीज को उनके पूर्व पति के द्वारा एक फर्जी में केस में अरेस्ट किया था. गिरफ्तारी के बाद अजीज काफी रोने लगी. लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने उन्हें सिर से पर्दा हटाने के लिए कहा. मुकदमे में अजीज ने बताया कि उस वक्त मैं टूटा हुआ महसूस कर रही थी, क्योंकि जिस वक्त मेरी तस्वीर ली जा रही थी वहां एक दर्जन से ज्यादा पुरुष पुलिस अफसर और 30 से ज्यादा पुरुष कैदी उन्हें बिना पर्दा के देख रहे थे.

अफसरों ने किया बचाव
 वहीं, अफसरों ने शुरू में लोगों को मग शॉट्स के लिए सिर ढंकने के लिए मजबूर करने की प्रथा का यह कहते हुए बचाव किया कि नियम मजहबी रीति-रिवाजों के प्रति सम्मान को संतुलित करती है. एक अफसर ने बताया, "वैध कानून प्रवर्तन को गिरफ्तारी की तस्वीरें लेने की जरूरत  है" लेकिन पुलिस विभाग ने मुकदमे के शुरुआती निपटारे के हिस्से के रूप में साल 2020 में नियम में बदलाव किया है. उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तार लोगों को मग शॉट्स के लिए अपने सिर को ढंकने की अनुमति देगा.

 वहीं, शहर के कानून विभाग के प्रवक्ता निक पाओलुची ने एक बयान में कहा कि समझौते के परिणामस्वरूप पुलिस विभाग में सकारात्मक सुधार हुआ और यह "सभी पक्षों के हित में था". एमरी सेली ब्रिनकरहॉफ़ अबाडी वार्ड और माज़ेल एलएलपी के वकील ओ. एंड्रयू एफ. विल्सन, जो सर्विलांस टेक्नोलॉजी ओवरसाइट प्रोजेक्ट के साथ महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उन्होंने कहा, "किसी को अपने धार्मिक कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना इस महत्वपूर्ण समझौते की तरह है, जो धार्मिक रूप से सिर ढंकने वालों की गरिमा को होने वाले गहरे नुकसान को स्वीकार करता है." 

 4,100 लोगों में बांटी जाएगी रकम
पाओलुची ने कहा कि मुकदमे को निपटाने के लिए मिलने वाली रकम करीब 4,100 लोगों में बांटी जाएगी.  वहीं, वकील ओ. एंड्रयू एफ. विल्सन ने कहा कि एक बार निपटान को मंजूरी मिल जाने के बाद रकम को जस्टिस द्वारा तय समय सीमा के मुताबिक जवाब देने वाले सभी लोगों के बीच समान रूप से बांट दिया जाएगा,जिसमें हर एक पात्र मेंबर के लिए 7,824 अमेरिकी डॉलर ( 6,51,576.07 Indian Rupee ) के न्यूनतम भुगतान की गारंटी होगी.

 

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