कांवड़ यात्रा पर ओवैसी का बयान; बोले- हिटलर के शासन में होता था यहूदियों बहिष्कार
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कांवड़ यात्रा पर ओवैसी का बयान; बोले- हिटलर के शासन में होता था यहूदियों बहिष्कार

Owaisi on Uttar Pradesh Government: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश शासन के आदेश की तुलना हिटलर के शाशन से की है. उनका कहना है कि हिटलर के शासन में यहूदियों का बहिष्कार किया जाता था.

कांवड़ यात्रा पर ओवैसी का बयान; बोले- हिटलर के शासन में होता था यहूदियों बहिष्कार

Owaisi on Uttar Pradesh Government: तेलंगाना के हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी अपने तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं. वह अक्सर देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं. हाल ही में उन्होंने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला बोला है. असदुद्दीन ओवैसी ने कांवड़ यात्रियों के रास्ते में पड़ने वाली खाने पीने की दुकान पर उनके मालिकों के नाम लिखने के आदेश की तुलना हिटलर के साशन से की है.

हिटलर के शासन से तुलना
ओवैसी ने हिटलर के दौर का हवाला देते हुए कहा कि हिटलर ने अपने शासन में जर्मनी में यहूदियों से कहा था कि उन्हें 'स्टार ऑफ डेविड' पहनना होगा और उनका बहिष्कार किया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों में कुछ मुसलमानों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और यह देश के लिए अच्छा नहीं है. ओवैसी ने ये बातें तब कहीं जब वह शनिवार को तेलंगाना के कोडंगल में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे.

निशिकांत पर नाराज हुए ओवैसी
ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे के उस बयान की भी आलोचना की, जिसमें दुबे ने कहा था कि झारखंड के संथाल परगना इलाके में आदिवासियों की जनसंख्या 'बांग्लादेशी घुसपैठियों' की बढ़ती आमद की वजह से घट रही है. 

क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की तरफ से जारी उन निर्देशों पर रोक लगाते हुए 22 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखने का निर्देश दिया, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों को मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था. हिंदू कैलेंडर के ‘श्रावण’ महीने के दौरान शिवलिंगों पर जलाभिषेक करने के लिए कई मकामों से बड़ी संख्या में भक्त गंगा से पवित्र जल की ‘कांवड़’ लेकर आते हैं. कई श्रद्धालु इस महीने में मांस-मदिरा से दूर रहते हैं, तो कई लोग प्याज-लहसुन युक्त भोजन तक नहीं खाते.

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