Gyanvapi Mosque: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी है. हिंदू पक्ष इसे सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहा है. लेकिन मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि इससे अराजकता फैलेगी.
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Gyanvapi Mosque: वाराणसी की एक अदालत ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर ASI की सीलबंद रिपोर्ट सार्वजनिक करने और पक्षकारों को प्रतियां देने के बारे में 24 जनवरी को कोई फैसला लेगी. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि इसका आदेश जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने दिया. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकील भी अदालत में मौजूद थे.
19 जनवरी को होगी सुनवाई
जिला अदालत के 21 जुलाई के आदेश के बाद, ASI ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में मौजूद ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे किया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं. अदालत ने शनिवार को कहा कि वह ‘सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट’ के जरिए मामले की सुनवाई के बाद इस मुद्दे पर फैसला लेगा. फास्ट ट्रैक कोर्ट इस मामले पर 19 जनवरी को सुनवाई करेगा.
दोबारा हो सकता है सर्वे
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) ने बुधवार को अदालत से अपनी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वे रिपोर्ट को कम से कम चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने का आग्रह किया था. इसके बाद वाराणसी जिला अदालत के न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने मामले को बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दिया था. एएसआई के वकील अमित श्रीवास्तव ने बुधवार को जिला अदालत को बताया था कि हाई कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर सिविल अदालत ज्ञानवापी परिसर का दोबारा सर्वे कराने का आदेश दे सकती है. उन्होंने कहा कि इसलिए अभी सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर विरोधाभास की स्थिति पैदा हो सकती है, लिहाजा सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करके पक्षकारों को उपलब्ध कराने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाए.
मुस्लिम पक्ष की याचिका हुई थी खारिज
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की मौजूदगी वाली जगह पर कथित मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग संबंधी मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षों की कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि साल 1991 का पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) किसी प्रार्थना गृह के धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं करता है और इसे केवल विरोधी पक्षों की तरफ से अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य के जरिए से निर्धारित किया जा सकता है.
सीलबंद लिफाफे में दी रिपोर्ट
न्यायालय ने निचली अदालत को इस मामले को छह महीने के अंदर निपटाने के निर्देश देते हुए कहा था कि अगर जरूरी हो तो निचली अदालत ASI को परिसर के सर्वे करने का निर्देश दे सकती है. एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वे रिपोर्ट जिला अदालत को सौंप दी थी. एएसआई ने बुधवार को चार सप्ताह का समय मांगते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला दिया जिसमें निचली अदालत को मामले को छह महीने के अंदर निपटाने और जरूरत पड़ने पर ASI को परे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के आदेश देने की बात कही गई है.