Islamic Knowledge: इस्लाम कहता है कि मरीजों से हमदर्दी रखो. अगर कोई गैर-मुस्लिम बीमार हो तो उसका हाल-चाल पूछने के लिए जाओ.
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Islamic Knowledge: इस्लाम में बीमार लोगों के साथ हमदर्दी दिखाने और उनकी देखभाल करने के बारे में बताया गया है. इस्लाम में हुक्म है कि अगर कोई शख्स बीमार है, तो उसे देखने जाओ और उसका हाल-चाल पूछो. अगर आपको लगे कि बीमार शख्स के पास दवा खरीदने के पैसे नहीं हैं तो उसे पैसे दो. अगर बीमार शख्स पैसे लेने से मना करता है, तो उसे दवा लाकर दो या दवा का इंतजाम कर दो. मरीज की देखरेख करने वाले शख्स से अल्लाह बहुत खुश होता है.
बीमार लोगों की देखरेख पर हदीस
एक हदीस में बीमार के बारे में बताया गया है कि "हजरत अबु हुरैरा (र.) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (स.) ने बताया: कयामत के दिन अल्लाह एक आदमी से कहेगा: ऐ आदम के बेटे! मैं बीमार पड़ा था, तो तू मेरी इयादत (हाल-चाल पूछने) के लिए नहीं आया. वह कहेगा: ऐ मेरे रब! तेरी इयादत को कैसे आता, तू तो सारे संसार का पालनहार है. अल्लाह कहेगा: क्यूं तुझे पता नहीं था मेरा फलां बंदा बीमार पड़ा था, मगर तू उसका हाल-चाल मालूम करने नहीं गया था? क्या तुझे पता न था कि यदि तू उसका हाल-चाल मालूम करने जाता तो मुझे उसके पास पाता." (हदीस: मुस्लिम)
बीमार का हाल-चाल पूछने पर क्या कहता है इस्लाम?
इस्लाम में बताया गया है कि तुम मरीज की देखभाल करो, भूखे को खाना खिलाओ और बेकसूर कैदियों को छुड़ाने का इंतेजाम करो.
इस्लाम में बीमार गैर-मुस्लिमों का हालचाल पूछने का जिक्र है. जब भी कोई आपका करीबी दोस्त, जानने वाला गैर-मुस्लिम शख्स बीमार हो तो उसका हाल-चाल पूछो.
इस्लाम में बताया गया है कि बीमार का हाल-चाल पूछा जाए. उसके पास बैठा जाए. शोर शराबा न किया जाए.
इस्लाम में ये भी बताया गया है कि बीमार सख्स से नफरत न की जाए, न ही उसे हिकारत की नजर से देखा जाए, बल्कि उससे हमदर्दी रखी जाए और उसकी देखभाल की जाए. इसके साथ ही बीमार के आदमी के पास बैठकर उसकी बिमारी को लेकर कोई भी नकारात्मक बात न की जाए.. उसे किसी बात से ठेस न पहुंचे इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए.
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