Delhi News: सरस्वती विहार दंगा मामले में कोर्ट ने पूरी की सुनवाई, 2700 सिखों की हुई थी हत्या
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Delhi News: सरस्वती विहार दंगा मामले में कोर्ट ने पूरी की सुनवाई, 2700 सिखों की हुई थी हत्या

Delhi News: पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में दंगा फैल गया था. जिसमें 2700 सिख मारे गए थे. इस दौरान सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या हुई थी. इसी मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई चल रही थी.

Delhi News: सरस्वती विहार दंगा मामले में कोर्ट ने पूरी की सुनवाई, 2700 सिखों की हुई थी हत्या

Delhi News: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज यानी 24 अक्टूबर को पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ सिख विरोधी दंगों के एक मामले में अंतिम दलीलें पूरी कर लीं. यह मामला 1 नवंबर, 1984 को सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है. 

दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश सीनियर अधिवक्ता ने दलील दी कि सिख दंगों के मामलों में पुलिस जांच में हेराफेरी की गई. पुलिस जांच धीमी थी और आरोपियों को बचाने के लिए ऐसा किया गया. दलील दी गई कि दंगों के दौरान स्थिति असाधारण थी. इसलिए इन मामलों को इसी संदर्भ में निपटाया जाना चाहिए. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सीनियर अधिवक्ता एचएस फुल्का की दलीलें सुनने के बाद मामले को स्पष्टीकरण के लिए लिस्टेट है. मामले को 8 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है. 

कितने लोगों की हुई थी हत्या
इस बीच, अदालत ने बचाव पक्ष के वकील से उस फैसले की कॉपी दाखिल करने को कहा है, जिस पर उन्होंने भरोसा किया है. सीबीआई और बचाव पक्ष के वकील पहले ही अपनी दलीलें पूरी कर चुके हैं. बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया और कहा कि यह कोई अलग मामला नहीं है, यह बड़े नरसंहार का हिस्सा था, यह नरसंहार का हिस्सा है. उन्होंने आगे तर्क दिया कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1984 में दिल्ली में 2700 सिख मारे गए थे. यह कोई सामान्य स्थिति नहीं थी.

हाईकोर्ट के फैसले का दिया हवाला
सीनियर अधिवक्ता फुल्का ने 1984 के दिल्ली कैंट मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया, जिसमें अदालत ने दंगों को 'मानवता के खिलाफ अपराध' कहा था. यह भी कहा गया कि नरसंहार का उद्देश्य हमेशा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना होता है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया कि इसमें देरी हो रही है और एक एसआईटी गठित की गई. सीनियर अधिवक्ता ने नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध के मामलों में विदेशी अदालतों द्वारा दिए गए फैसले का भी हवाला दिया. उन्होंने जिनेवा कन्वेंशन का भी हवाला दिया. सज्जन कुमार की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा, एस ए हाशमी, अनुज शर्मा पेश हुए. 

कोर्ट में कब दर्ज हुआ था बयान
गौरतलब है कि 1 नवंबर 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार का बयान दर्ज किया था. उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया था. शुरुआत में पंजाबी बाग थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में जस्टिस जी पी माथुर कमेटी की सिफारिश पर गठित विशेष जांच दल ने इस मामले की जांच की और एसआईटी ने चार्जशीट दाखिल की. ​​कमेटी ने 114 मामलों को फिर से खोलने की सिफारिश की थी. यह मामला उनमें से एक था। 16 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने आरोपी सज्जन कुमार के खिलाफ धारा 147/148/149 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराधों के साथ-साथ धारा 302/308/323/395/397/427/436/440 सहपठित धारा 149 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोप तय किए थे.

एसआईटी ने लगाए थे गंभीर इल्जाम
एसआईटी ने आरोप लगाया है कि आरोपी उक्त भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और उसके उकसावे और उकसावे पर भीड़ ने दो व्यक्तियों को जिंदा जला दिया था और उनके घरेलू सामान और अन्य संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया, नष्ट कर दिया और लूट लिया, उनके घर को जला दिया और उनके घर में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को भी गंभीर चोटें पहुंचाईं. यह दावा किया जाता है कि जांच के दौरान मामले के महत्वपूर्ण गवाहों का पता लगाया गया, उनकी जांच की गई और सीआरपीसी की धारा 161 के तहत उनके बयान दर्ज किए गए.

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