Shivaji Maharaj sculptor: शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने पर काफी विवाद होता दिखा, जिसके बाद अब उस शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसकी कंपनी ने यह मूर्ति बनाई थी.
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Shivaji Maharaj sculptor: शिवाजी महाराज की प्रतिमा को बनाने वाला शख्स गिरफ्तार हो गया है. पुलिस ने जयदीप आप्टे जिसे प्रतिमा बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था उसे थाने डिस्ट्रिक्ट के कल्याण से गिरफ्तार किया है. बता दें, जयदीप आप्टे की ही कंपनी को ही छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था. सूत्रों के मुताबिक, आप्टे को फिलहाल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के ऑफिस में रखा गया है.
कल्याण के 24 साल के मूर्तिकार को गिरफ्तार कर लिया गया है. वह करीब 10 दिनों से लापता था और उसका कोई पता नहीं चल पाया था. 35 फीट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का उद्घाटन नौ महीने पहले ही हुआ था और 26 अगस्त को यह प्रतिमा गिर गई थी.
बता दें, कल्याण में आर्ट कंपनी के मालिक आप्टे को बड़ी मूर्तियां बनाने का कोई एक्सपीरियंस नहीं है, लेकिन उन्होंने सिंधुदुर्ग के मालवण में राजकोट किले में शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाने का काम किया, जिसका उद्घाटन पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
मराठा राज्य के प्रतिष्ठित संस्थापक की प्रतिमा के ढहने से भारी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव करीब है ऐसे में विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला था. अपोजीशन ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार की जमकर आलोचना की थी, और सवाल उठाया था कि जिस कंपनी को पहले कभी बड़ी प्रतिमा बनाने का एक्सपीरियंस नहीं था, तो उसे ठेका क्यों दिया गया.
आप्टे की गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता प्रवीण दारकेकर ने कहा, "जो लोग हमारी सरकार की आलोचना कर रहे थे, उन्हें अब अपना मुंह बंद कर लेना चाहिए. यह सच है कि पुलिस ने जयदीप आप्टे को गिरफ़्तार करने में थोड़ा समय लिया. हम गिरफ़्तारी का कोई श्रेय नहीं ले रहे हैं, लेकिन पुलिस ने अपना काम किया है."
विशालकाय मूर्ति के अचानक ढहने पर राजनीति गरमा गई, महाराष्ट्र पुलिस ने आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ अलग-अलग धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, पाटिल को 31 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, जबकि आप्टे के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया है.
इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस परियोजना के लिए राज्य के खजाने से 236 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने के बावजूद प्रतिमा के निर्माण पर केवल 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए.