UP temple bans entry for Muslims in Aligarh: इससे पहले महाराष्ट्र के नासिक में एक मंदिर में पुरानी परंपरा के तहत लोबान का धुंआ दिखाने पर चार मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस मामले की जांच के लिए एसआईटी भी गठित की गई है.
Trending Photos
अलीगढ़ः भारत के कुछ मंदिरों में दूसरे धर्म के लोगों की एंट्री पर काफी पहले से प्रतिबंध है. लेकिन अब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक प्राचीन हनुमान मंदिर ने मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही हिंदू श्रद्धालुओं के लिए एक ड्रेस कोड के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं, जिसके मुताबिक मंदिर में उसी ड्रेस में एंट्री की जा सकती है.
दरअसल, अलीगढ़ के अचलतालाब क्षेत्र में मंदिर के बाहर पोस्टर लगाए गए हैं, जिसे गिलहरी हनुमान मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है. पोस्टर में कहा गया है कि मुसलमानों को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत नहीं है. हिंदू भक्तों के लिए जो ड्रेस कोड लागू किए गए हैं, उनके मुताबिक, लोगों को मंदिर में फटे-चिटे जींस और छोटे कपड़े पहनकर प्रवेश नहीं करना है.
क्या कहता है मंदिर प्रशासन
इस मामले में मंदिर के महंत कौशल नाथ ने कहा कि धार्मिक स्थल पर इस तरह के कपड़े पहनना ध्यान भटकाने वाला और अनादर करने वाला होता है. लोगों को शालीन कपड़े पहनकर मंदिर आना चाहिए. वे इसके बाहर कुछ भी पहन सकते हैं. वहीं, मुसलमानों पर प्रतिबंध के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके मंदिर में आने का क्या मतलब है अगर वे पूजा नहीं करना चाहते हैं?“ यह मंदिर इसलिए मशहूर है, क्योंकि भगवान हनुमान को गिलहरी के रूप में पूजा जाता है.
इससे पहले नासिक में हो चुका है विवाद
गौरतलब है कि इससे पहले महाराष्ट्र के नासिक में एक पूजा स्थल को अपवित्र करने के इल्जाम में चार मुसलमानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उनपर आरोप लगा था कि महाराष्ट्र के नासिक में बुधवार को वहां के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर में उन लोगों ने जबरन घुसने की कोशिश की थी. पिछले मंगलवार को अकील यूसुफ सैय्यद, सलमान अकील सैय्यद, मतीन राजू सैय्यद और सलीम बक्श सैय्यद को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया है.
क्या कहते हैं मुस्लिम समाज के लोग
इस मामले में स्थानीय मुसलमानों का कहना है कि नासिक में, मुस्लिम एक सूफी संत के उर्स के दौरान जुलूस निकालते हैं. हजरत गुलाब शाह वली के उर्स का जुलूस दरगाह में प्रवेश करने से पहले मंदिर के सामने से गुजरती है. हर साल, मुसलमान मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहली सीढ़ी पर खड़े होते हैं और परिसर के अंदर जलते हुए लोबान से उठने वाले सुगंधित धुएं को अंदर भेजते हैं.“ यह मंदिर के प्रति सम्मान प्रकट करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. पिछले शनिवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ था. लेकिन इस बार मंदिर प्रशासन इससे नाराज होकर रिपोर्ट लिखवा दी.
Zee Salaam