Bath in Islam: पाक-साफ होने के लिए नहाना जरूरी होता है, लेकिन इस्लाम धर्म में नहाने के भी नियम है, जिसका पालन करना जरूरी होता है. नहाते वक्त तीन स्टेप्स का पालन न करने से स्नान को शुद्ध नहीं माना जाता है.
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नई दिल्लीः इस्लाम में पाकी यानी साफ-सुथरा रहने को नस्फ ईमान यानी आधा ईमान कहा गया है. इसका मतलब यह है कि इंसान को हर समय पाक-साफ यानी पवित्रता की हालत में रहना चाहिए. ये इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि एक इस्लाम धर्म को मानने वाले शख्स के लिए यह अनिवार्य होता है कि वह दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़े और नमाज पढ़ने के लिए पाक हालत में होना जरूरी होता है.
पाक-साफ होने के लिए नहाना, गुसुल या स्नान करना जरूरी होता है. अगर कोई शख्स नापाक या अपवित्र हो गया हो तो उसे दोबारा पाक होने के लिए नहाना पड़ता है. लेकिन इस्लाम में नहाने का भी तौर-तरीका बताया गया है. नहाने के वक्त इसमें बताए हुए फर्ज का अगर पालन नहीं किया गया तो पूरा जीवन समुंद्र में नहाने वाला शख्स भी पवित्र नहीं होगा और वह नापाकी की हालत में रहेगा.
नहाने में तीन फर्ज का पालन है जरूरी;
कुल्ली करना, नाक में पानी डालना और पूरे जिस्म पर इस तरह पानी डालना के बाल बराबर भी कोई हिस्सा सूखा न रहे.
1. मुंह में पानी भरकर कुल्ली करनाः नहाने और पाकी हासिल के लिए जरूरी है कि नहाने वाला व्यक्ति अपने मुंह में पानी भरकर कुल्ली/ कुल्ला करे. गार्गिल करने की तरह कंठ तक पानी पहुंचाए. हालांकि रमजान के दिनों में सामान्य कुल्ली करना होता है, गरारा नहीं किया जाता है. रमजान में गरारा करने से रोजा टूट जाता है.
2. नाक में पानी डालनाः नहाने के तरीकों में दूसरा फर्ज है नाक में पानी डालना. नाक में पानी डालकर इसे साफ करना चाहिए. पानी नाक के पीछे के नर्म हिस्से तक पहुंचाया जाना चाहिए.
3. नहाने का तीसरा फर्ज है, पूरे शरीर को पानी से इस तरह भिगाना और नहाना के कोई हिस्सा सूखा न रह जाए.
नहाने में कुछ सुन्नतें, जिसका पालन आपकी मर्जी पर है
1. नहाने से पहले मन में यह नियत करना की पवित्रता हासिल करने के लिए आप नहा रहे हैं.
2.दोनों हाथों को गट्टों तक धोना
3. जिस्म पर कुछ लगा हो तो उसे पहले धोना/गुप्तांगों को धोना
4. शरीर पर तीन बार पानी डालना
5. वजू करना
नहाने के वक्त की अन्य बातें जिसे मुस्तहब माना गया है और उसका ख्याल करने की ताकीद की गई है
ऐसी जगह नहाना जहां किसी की नज़र न पड़े ये औरतों और मर्दों दोनों के लिए जरूरी है. मर्द खुली जगह पर नहाए तो नाफ़ से घुटने तक का जिस्म ढका होना चाहिए. औरतों का खुली जगह पर नहाना सही नहीं माना गया है.
नहाते वक्त किसी तरह की बातचीत या कोई दुआ नहीं पढ़नी चाहिए.
नहाने के बाद बदन पोंछना.
नहाते वक्त जरूरत से ज्यादा पानी बर्बाद न करना
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