Rape in Islam: इस्लाम हर बुराई से इंसान को रोकता है. इस्लमा में रेप के बारे में कहा गया है कि यह हराम है और कयामत तक ये हराम रहेगा.
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Rape in Islam: इस्लाम हर बुरी बात से रोकता है. बुराई को पनपने वाला माहौल ही न बने यानी उन परिस्थितियों पर ही रोक लगाता है, जहाँ से किसी तरह की बुराई या व्यभिचार जन्म लेता है. इस्लाम इस बात पर जोर देता है कि अगर बुरा सोचते हैं, तो इस पर पाबंदी लगाइए. इंसान अगर अपने जहन में किसी बुरे ख्याल का तसव्वुर (कल्पना) करता है, तो जिस्म के सारे अंग उसे पूरा करने के लिए लग जाते हैं. इसलिए इस्लाम में कहा गया है कि जब भी आपके मन में बुरे ख्याल आएं, तो सबसे पहले उसे ताकत के जोर से दबाने की कोशिश करनी चाहिए. इसे ही नफ्स कहा गया है यानी इन्द्रियां. इस्लाम कहता है कि नेक इंसान यानि मोमिन अपनी इन्द्रियों को अपने वश में यानी काबू में रखता है. इस्लाम में बलात्कार को संगीन गुनाह माना गया है, और इस गुनाह करने वाले को पत्थरों से मार-मार कर मौत की सज़ा देना का हुक्म देता है. इस्लाम में व्यभिचार यानी अडल्ट्री के लिए भी यही सज़ा मुक़र्रर है, ताकि लोग व्यभिचार और बलात्कार से खौफ़ खाए और समाज में सुचिता बनी रहे.
हर चीज का जिना
यहाँ तक कि इस्लाम में किसी पर स्त्री के कामुक नज़र से देखना भी गुनाह बताया गया है. उसके साथ हमबिस्तर के ख्याल करना भी गुनाह की श्रेणी में रखा गया है. एक हदीस में आता है कि अगर कोई शख्स किसी को कामवासना की नजर से देखता है तो यह उसकी आंखों का जिना है. कामवासना के बारे में बातचीत करना जबान का जिना है. पकड़ना हाथ का जिना है. इसके लिए चलकर कहीं जाना पैरों का जिना है. ख्वाहिश और तमन्ना दिल का जिना है. जिना और व्यभिचार से बचने के लिए ही इस्लाम में निकाह को बेहद आसान बनाया गया है. इसके साथ ही व्यभिचारियों के बारे में एक हदीस है कि एक व्यभिचारी और बलात्कारी व्यक्ति जब ये काम करके वापस अपने घर आ रहा होता है, गोया कि वह एक दूसरे व्यभिचारी और बलात्कारी को अपने घर का रास्ता बताकर आ रहा होता है.
जन्नत में जाने से रोकेगा
तमाम बुराईयों में जिना एक बड़ी बुराई है जिसे इस्लाम ने सख्ती से मना किया है. एक हदीस में आता है कि जिसकी जवानी, जवानी की बुराइयों से महफूज रही (जिना से महफूज रही) वह जन्नत का हकदार है.
क़यामत के बाद इन तीन लोगों से नज़र फेर लेगा खुदा
एक हदीस में कहा गया है कि "हजरत अबुहुरैरा (र.) से रिवायत है कि प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया: तीन लोगों से न अल्लाह ताला बात करेगा और न ही उन्हें पाक करेगा और न उनकी तरफ नजर ए रहमत फरमाएगा और उनके लिए दर्दनाक अजाब होगा. 1. बूढ़ा जानी, 2. झूठ बोलने वाला बादशाह, 3. घमंड करने वाला फकीर."
जिना से बचाव के तरीके
इस्लाम में जिना से बचाव के तरीकों के बारे में बताया गया है. इसके लिए कहा गया है कि अगर आप हैसियत रखते है हों तो निकाह (शादी) कर लें. ये आपकी शर्मगाह (इन्द्रियों को वश में रखेगा) की हिफाजत करेगा. इसके अलावा जो शख्स शादी करने की हैसियत नहीं रखता है वह रोजे रखे. रोज़े रखने का यहां अर्थ इन्द्रियों को अपने काबू में रखना है. यानी ब्रहमचर्य का पालन..
सेक्स के अन्य साधन और इस्लाम
यौन इच्छाओं की पूर्ती के लिए इस्लाम सिर्फ औरत और मर्द के बीच संबंधों की इजाज़त देता है. इसके आलावा, पुरुष-पुरुष, महिला-महिला, हस्तमैथुन या किसी अन्य अप्राकृतिक तरीके से यौन संतुष्टि हासिल करने पर इस्लाम प्रतिबन्ध लगाता है, और इसे संगीन गुनाह की श्रेणी में रखा गया है..