Hajj Ek Farz: Hajj never stopped after 1932 हमने आपको पहले के वीडियोज़ में बताया कि कैसे कई वजूहात के सबब हज मंसूख़ हुआ और हाजियों के लिए ख़ाना काबा बंद रहा. कई बार जंगों और लड़ाईयों के सबब तो कई बार सियासी कशमकश की वजह से तो कई बार बीमारियों की वजह से हज मंसूख़ हुआ लेकिन क्या आप जानते हैं कि सन 390 हिजरी में मिस्र की बढ़ती हुई महंगाई और हज के सफर के इख़राजात में बेपनाह इज़ाफ़े की वजह से लोग हज पर ना जा सके, औऱ इसी तरह 430 हिजरी में इराक़, शाम और मिस्र के लोग हज पर ना जा सके. रिपोर्टस के मुताबिक़ 492 हिजरी में इस्लामी दुनिया में आपस में जंगों की वजह से मुसलमानों को बहुत नुक़सान हुआ जिससे फरीज़ए हज मुतास्सिर हुआ. 654 हिजरी से 658 हिजरी तक हिजाज़ के अलावा किसी और मुल्क के हाजी मक्का ना पहुंच सके. 1213 हिजरी में फ्रांसीसी इंक़लाब के दौरान हज क़ाफ़िलों को तहफ़्फ़ुज़ और सलामती के बाइस रोक दिया गया. इसके अलावा सन 417 हिजरी में इराक़ में शदीद सर्दी और सैलाबों की वजह से ज़ाएरीन मक्का का सफ़र ना कर सके. इस तरह शदीद सर्द मौसम की वजह से हज को मंसूख़ करना पड़ा था. सन 1344 हिजरी में ख़ाना काबा के ग़िलाफ़, किसवा को मिस्र से सऊदी अरब ले कर जाने वाले क़ाफ़िले पर हमला हुआजिसकी वजह से मिस्र का कोई हाजी भी ख़ाना काबा ना जा सका. ताहम ये बात भी क़ाबिले ज़िक्र है कि जब से सऊदी अरब वजूद में आया है यानि 1932 से लेकर अब तक ख़ाना काबा में हज कभी नहीं रुका
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