Hajj Ek Farz: How is Kiswa prepared? सऊदी दौर से पहले सदियों तक किसवाह के लिए कपड़ा मिस्र से आता रहा था. शाह अब्दुल अज़ीज़ के दौर में किसवाह के लिए अलग महकमा क़ायम किया और पहली बार इस के लिए कपड़ा मक्का में बनना शुरू हुआ. और फिर इस का कारख़ाना उम्मुल जूद मुंतक़िल कर दिया गया.इस कारख़ाने में पानी को पाक किया जाता है. जिससे किसवाह में इस्तेमाल किए जाने वाले रेशम को घोया जाता है. रेशम को बाद में सियाह और सब्ज़ रंगों में रंगा जाता है और ख़ुसूसी केमिकल्स इस्तेमाल किए जाते हैं.सूती कपड़े को भी इसी तरह धोया और रंगा जाता है. किसवाह पर मशीनों के ज़रिए क़ुरानी आयात और दुआएं काढ़ी जाती हैं. इस ग़र्स से रेशम के अलावा सोने के तार इस्तेमाल किए जाते हैं. ये मशीनें फ़ी मीटर 9 हज़ार 9 सौ छियासी धागे इस्तेमाल करती हैं.ताकि किसवाह को रिकॉर्ड मुद्दत में तैयार किया जा सके. किसवाह की लागत का ताल्लुक़ तारीख़ी तौर पर मक्के के हुक्मरां की माली हैसियत से रहा है. लेकिन हर हुक्मरान ने अच्छे से अच्छा ग़िलाफ़ बनवाने की कोशिश की. इसके लिए यमनी और मिस्र के क़ब्ती कपड़े का इस्तेमाल किया गया. काबे को क़ालीन जैसे कपड़े से भी ढका जाता रहा है.
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