Hajj Ek Farz: What is the date of Hajj? हज दीने इस्लाम का पांचवां रुक्न है. इस्तलाहे शरीयत में इस से मुराद. मुक़र्ररा दिनों में मख़्सूस इबादत के साथ अल्लाह ताला के घर की ज़ियारत करना है. हज बैतुल्लाह का तारीख़ी पसमंज़र ये है कि मक्का मुकर्रमा की मोजूदा जगह शुरू से ही बनी नौए इंसान का मरकज़ी चली आ रही है. क्योंकि इस मुक़द्दस मक़ाम को आने वाली नस्लों के लिए तहज़ीबो सक़ाफ़त और इल्मो इरफ़ान का गहवार बनना था. इमाम ज़ैन अल-अबिदीन रज़ी अल्लाह अनहू से किसी शख्स ने पूछा कि बैतुल्लाह का तवाफ़ कब से हो रहा है. तो आप रज़ी अल्ला अनहू ने फरमाया कि अल्लाह ताला ने फ़रिश्तों को ज़मीन पर अपना ख़लीफ़ा बनाने के बारे में इत्तेलाअ दी तो उन्होंने अर्ज़ किया कि हम आपकी तस्बीहो तक़दीस करने वाले हैं. और आप ऐशे बशर को खॉलीफ़ा बना रहे हैं जो ज़मीन में फ़साद फैलाएगा और ख़ून बहाएगा. अल्लाह ताला ने फ़रमाया जो मैं जानता हूं, तुम नहीं जानते. फरिश्तों को अपनी अर्ज़ पर निहायतही शर्मिंदगी हुई. उन्होंने हालते ज़ारी और तज़र्रू में अर्शे इलाही का तीन बार तवाफ़ किया. अल्लाह ताला ने उन पर ख़ुसूसी रहमत करते हुए अर्श के नीचे बैतुल मामूर बना कर फरमाया. तुम इस का तवाफ़ किया करो. हर रोज़ 70 हज़ार फ़रिश्ते तवाफ़ करते हैं और एक बार तवाफ़ करने वाले दोबारा नहीं आते. उसके बाद फ़रिश्तों से फ़रमया. अब्नू ली बैतन फील अर्दी बी मिसालीही वा क़दरी ही. इस की मिस्लो मिक़दार के मुताबिक़ ज़मीन पर मेरा घर बनाओ. जब घर बन गया तो अल्लाह ताला ने ज़मीन पर रहने वाली मख़लूक़ को हुक्म दिया. अईं यतूफ़ू बी हाज़ल बेती कमा यतूफ़ा आहलस समाई बिल बैतील मामूर. मतलबा तुम इस घर का इसी तरह तवाफ़ करो जैसे आसमान वाले बैतुल मामूर का करते हैं.